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अपने अधिकार से वंचित हुए आदिवासी बच्चे, पानी, भोजन, कपड़े भी नहीं

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Mar 2, 2019

अजय गुप्ता- कोरिया जिले के खोंगापानी में संचालित प्री मैट्रिक बालक छात्रावास में बच्चे रहते तो पढ़ने के लिए हैं, लेकिन यहां इन आदिवासी बच्चों का शोषण हो रहा है। यह इस बात से समझा जा सकता है कि इन बच्चों को पूरी ठंड बिना स्वेटर के ही काटनी पड़ी। हैरत वाली बात तो यह है कि 50 बच्चों के स्वेटर के नाम पर 8 हजार रुपए की राशि निकाली गई है, लेकिन बच्चों को स्वेटर मिले ही नहीं।

शासन द्वारा प्रतिमाह हजारों रुपए की राशि दी जाती है

नगर पंचायत खोंगापानी क्षेत्र में प्री मैट्रिक बालक छात्रावास संचालित है। इस छात्रावास में 50 से अधिक बच्चे रहते हैं। इन बच्चों के लिए प्रतिमाह हजारों रुपए की राशि शासन द्वारा दी जाती है। जबकि इसका कोई लाभ बच्चों को नहीं मिल पाता। छात्रावास में भोजन पकाने के लिए गैस की व्यवस्था है, लेकिन आज भी बच्चों को तभी खाना मिल पाता है, जब वे जंगल से लकड़ी काटकर लाते हैं। वहीं इस छात्रावास में बच्चों को महीनों से आलू की सब्जी खिलाई जा रही है। इस बारे में चाहकर भी बच्चें कहीं शिकायत नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें कहीं शिकायत करने पर प्रताड़ित तक किया जाता है।

पानी, भोजन, कपड़े की समस्या ज्यूं की त्यूं

छात्रावास में अन्य खर्चों के लिए भी व्यवस्था दी जाती है, लेकिन वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। हर छात्र के लिए जूता, मोजा, टीशर्ट के नाम पर पैसे तो निकाल लिए जाते हैं, मगर बच्चों को आज तक न जूते मिले न मोजे। छात्रावास में पानी की व्यवस्था के लिए भी राशि खर्च करने की बात कही गई है, लेकिन बच्चों को तभी पीने का पानी मिल पाता है, जब वे खुद जाकर पानी ढो कर लाते हैं। ऐसी कई समस्याएं है जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है। जब हमने मनेंद्रगढ़ के प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को इस मामले की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि वे अभी बाहर हैं, लेकिन वे इस मामले की जांच जरुर करवाएंगे। अब देखना है कि जांच अधिकारी कब इस छात्रावास में पहुंचते हैं और कब बच्चों को उनका हक मिल पाता है।