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शास्त्रानुसार मंदिरों की परिक्रमा करने का क्या है रहस्य, जानिए

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Jan 19, 2018

हम हमेशा यह चीज देखते आ रहे है कि अधिकांशत: जितने भी धार्मिक स्थलों पर हम जाते है हम उस जगह की परिक्रमा करते है। और यह जो परंपरा है वह पीढी दर पीढी चली आ रही है। लेकिन क्या आप कभी यह सोचते है कि इस तरह हम मंदिरों में परिक्रमा क्यों करते है। इसके पीछे भी एक बडा रहस्य है। इसके पीछे का जो कारण है व​ह एक प्रकार से धार्मिक और वैज्ञानिक कारण है। आइए जानते है कि क्या हैं यह कारण— ​शास्त्रों में एक शब्द आता है प्रदक्षिणा। जिसका अर्थ होता है परिक्रमा करना। अगर इस बात की गहराई मे उतरा जाए तो हम यह जान पाएंगें कि उत्तरी गोर्लाद्ध में प्रदक्षिणा घड़ी की सुई की दिशा में की जाती है। और जब आप घड़ी की सुई की दिशा के साथ घूमते हैं तो आप प्रकृति या यूं कहें कि प्राकृतिक शक्तियों के साथ घूम रहे होते हैं। यह ऐसी जगह होती है जहां आपको अधिकतम फायदा मिलता है। क्योंकि जब आप घड़ी की सुई की दिशा में किसी प्रतिष्ठित स्थान की परिक्रमा करते है तो यह संभावना को ग्रहण करने का सबसे आसान तरीका है। खासतौर से भूमध्य रेखा से 33 डिग्री अक्षांश तक यह संभावना काफी तीव्र होती है। और यही जगह सबसे ज्यादा लाभदायक होती है। परिक्रमा करते समय आपका ध्यान एक केंद्र बिंदु की तरफ केंद्रित रहता है। और आपके पास जितने भी नकारात्मक बिंदु उपस्थित होते है वह उस समय तक खत्म हो जाते है। और आपके पास सकारात्क विचार और सकारात्मक क्रियाओं का ही संचार होता है।