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माइक्रो प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं कॉन्टैक्ट लेंस  

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Aug 20, 2018

प्लास्टिक के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण से सभी वाकिफ हैं लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इस्तेमाल के बाद फेंके जाने वाले कॉन्टैक्ट लेंस विश्वभर के जल निकायों में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं और इस प्रकार से ये मनुष्य की खाद्य सामग्री तक भी पहुंच सकते हैं। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि दूषित जल शोधन केन्द्र में पाए जाने वाले माइक्रोब्स ने प्लास्टिक पॉलीमर्स में बांड को कमजोर करके कॉन्ट्रैक्ट लेंसो के तल को परिवर्तित कर दिया।

अनुसंधानकर्ताओं में शामिल भारतीय मूल के शोधकर्ता

प्लास्टिक अपनी कुछ संरचनात्मक क्षमता खोता है तो वह प्राकृतिक रूप से खंडित हो जाता है इससे प्लास्टिक के सूक्ष्म कण बनते हैं जो आगे जा कर माइक्रोप्लास्टिक के निर्माण का कारण बनते हैं जलीय जीव-जंतु माइक्रोप्लास्टिक को भोजन समझने की भूल कर इन्हें खा लेते है और चूँकि प्लास्टिक को पचाया नहीं जा सकता तो यह जलीय जीव-जंतुओं की पाचन शक्ति को खराब करते हैं ये जन्तु लंबी खाद्य श्रृंखला का एक भाग होते हैं और इस प्रकार से ये मानव खाद्य पदार्थों तक भी पहुंच सकते हैं।

15 से 20 प्रतिशत लोग अपने लेंसों को टॉयलेट में बहा देते हैं

अरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र चार्ली रोल्स्की कहते हैं हमने अमेरिकी बाजारों का रूख किया और कॉन्टैक्ट लेंस पहनने वालों पर सर्वेक्षण करके पाया कि 15 से 20 प्रतिशत लोग अपने लेंसों को सिक अथवा टॉयलेट में बहा देते हैं उन्होंने कहा कि बाद में इन लेंसों का क्या होता है इसका आकलन मुश्किल हैं क्योंकि एक तो यह पारदर्शी होते हैं इसलिए अपशिष्ट जल शोधन केन्द्र में इन पर निगाह रखना मुश्किल होता है इसके अलावा कॉन्टैक्ट लेंस में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक अन्य प्लास्टिक अपशिष्टों से अलग होती है मसलन पॉलीप्रोपेलीन जो कार की बैटरी से ले कर कपड़ों तक में पाई जाती है इन कारणों से अपशिष्ट जल शोधन केन्द्र में कॉन्टैक्ट लेंसों का प्रसंस्करण चुनौती पूर्ण है।