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बदले मलेरिया के लक्षण, खून में मिल रहे साउथ अफ्रीका जैसे जीवाणु

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Nov 4, 2017

जगदलपुर : आमतौर पर तेज बुखार के साथ मरीज को लगने वाली ठंड को मलेरिया का प्रारंभिक लक्षण माना जाता रहा है। इसी पारंपरिक लक्षण के आधार पर चिकित्सक भी मलेरिया पीड़ित मरीजों का परीक्षण और इलाज करते रहे हैं, लेकिन हाल ही में सामने आ रहे मलेरिया के प्रकरणों में न तो मरीज को बुखार आते देखा गया और न ही ठंड लगती है।

अब तो उल्टी-दस्त और कुपोषण जैसी बीमारियों का इलाज कराने पहुंचे मरीजों की जांच करने पर उनके रक्त में मलेरिया के जीवाणु मिल रहे हैं। वनांचल बस्तर के उमस भरे वातावरण में आ पनपते मच्छर और मच्छरों के चलते बस्तर के अधिकांश हिस्सों में फैल रही मलेरिया की बीमारी से पहले ही परेशान स्वास्थ्य अमला मलेरिया के इस बदलते प्रारंभिक लक्षण को लेकर चिंतित है।

कुछ दिनों पूर्व बस्तर जिले के दरभा क्षेत्र में एक बच्चे के रक्त में मिले मलेरिया के परजीवी प्लाज्मोडियम वाइवैक्स, प्लाज्मोडियम पेल्सीफेरम, प्लाज्मोडियम मलेरी के साथ-साथ प्लाज्मोडियम ओवेल भी पाए गए थे।

आम तौर पर साउथ अफ्रीका के नीग्रो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में प्लाज्मोडियम ओवल का प्रभाव दिखता है। 15 साल पूर्व उड़ीसा के कोरापुट क्षेत्र के एक मामले को छोड़ दें, तो दरभा का यह मामला देश में हाल का इकलौता प्रकरण है, जिसमें मलेरिया पीड़ित व्यक्ति के रक्त में चारों ही प्रकार के परजीवी पाए गए।

बस्तर संभाग के सातों जिलों में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए जाते हैं। जिनमें 100 से अधिक मरीजों की मौत भी मलेरिया की वजह से हो जाती है। जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा कि मलेरिया पीड़ित मरीज के प्रारंभिक लक्षण में आए बदलाव के चलते अब अस्पतालों के ओपीडी में आने वाले और अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी मरीजों की मलेरिया जांच की जा रही है।

बस्तर में मलेरिया रोग और उसके निदान पर अनुसंधान कर रही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र भी बस्तर में बदली हुई परिस्थितियों पर बराबर नजर बनाए हुए हैं।

देश भर के कुल 8 केंद्रों में से जगदलपुर में स्थापित इस एक केंद्र के कार्यालय प्रभारी सह उपसंचालक ने बताया कि मच्छरों से बचाव हेतु ड्यूरानेट के नाम से एक नई मच्छरदानी पर प्रयोग कर रहें है।

वर्तमान में कुरंदी क्षेत्र के 1400 घरों में इस मच्छरदानी का वितरण कर उस पर अनुसंधान जारी है, पुरानी मच्छरदानियों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से श्रेष्ठ सिद्ध होने पर मलेरिया से बचाव हेतु बस्तर में ड्यूरानेट वितरित किए जाएंगे।