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अंगारमोती मां..... भक्ति और शक्ति का संगम

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Sep 26, 2017

धमतरी : दण्कारण्य का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले धमतरी इलाके में देवी शक्तियों का हमेशा से ही वास रहा हैं, पर गंगरेल की हसीन वादियों में विराजमान अंगारमोती माता की महिमा निराली हैं। नवरात्र के इस पावन पर्व में लोग माता की भक्ति के रंग में डूबे हुए हैं और इस दरबार में हर रोज आस्था का सैलाब उमड़ रहा हैं।

नवरूपों में पूजे जाने जाने वाली माता का यह रूप यथा नाम तथा गुणों वाली हैं। जो सदियों से इलाके की रक्षा करते आ रही हैं। शक्ति और भक्ति के इस संगम में कई चमत्कार भी होते रहते हैं और इस सिद्धपीठ से कोई श्रृद्धालु निराश नहीं लौटता। यही वजह हैं कि हर नवरात्र में आस्था की ज्योत जलाने इलाके के अलावा दूरदराज के लोगों का यहां तांता लग जाता हैं।

धमतरी में गंगरेल के पहाडों के बीच में विराजित मां अंगारमोती का भव्य दरबार बीते 6 सौ सालों के इतिहास को अपने अन्दर समेटे हुए हैं। जब माता दुर्गा का यह रूप अब डूबान में आ चूके चवरगांव के बीहड में स्वयं प्रकट हुई और अपने प्रभाव से पूरे इलाके को आलौकित कर दिया।

जब 1972 में बांध बनने से पूरा गांव डूब गया, तो भक्तों ने नदी के किनारे माता का दरबार बना दिया। तब से इस दरबार में आस्था की ज्योत जलने का सिलसिला शूरू हुआ, जो आज तक जारी हैं। मान्यता के मुताबिक सबकी मनोकामना पूरी करने वाली अंगारा ऋषि की पुत्री हैं।

जिसके चलते इसका नाम अंगारमोती पडा। यह माता अपने नाम के खुश होने पर भक्तों की झोली भर देती हैं। वहीं नाराज होने पर उन्हें मनाना मुश्किल हो जाता हैं। पुजारी की माने तो सभी वनदेवियों की बहन माने जाने वाली इस मां को शुरू से ही खुली वादियां ही पसन्द हैं। जिसके चमत्कार से कई नि:संतान महिलाओं की गोद भरी हैं।

इस दरबार में लोगों ने माता की शक्ति का कई बार अहसास किया हैं। जिसके चलते अपनी जिन्दगी में उजियारा लाने महिलाएं पल्लू बिना सिर पर ढांके इस मन्दिर में शिश नवाकर अपनी मनोकामना पूरी करती हैं।    

वैसे तो इस दरबार में सालभर घन्टियों की आवाज गूंजने का सिलसिला नहीं रुकता, पर नवरात्र के खास मौके पर पूरा माहौल माता के भक्तों का मेला लग जाता हैं और मां अंगारमोती अपने भक्तों की खाली झोली भर देती हैं, जो सुख और सुकून की तलाश में यहां हाजिरी लगाते हैं। चमत्कारों के बारे में युवा श्रृद्धालु मानते हैं कि ये आस्था हैं अधंविश्वास नहीं।

बहरहाल मां विंध्यवासिनी और मनकेशरी की बहन माने जाने वाली इस अंगारमोती मां की कृपा सदियों से अपने भक्तों पर बरसते आ रही हैं। वैसे माता के इन्हीं चमत्कारों की वजह से आज भी श्रृद्धालुओं का हर नवरात्र में मेला लग जाता हैं। जहां अंगार के साथ मोती बरसाने वाली दुर्गा के इस रूप की शक्ति का अहसास करते हैं।