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आबकारी नियमों की धज्जियां उड़ा रहे शराब ठेकेदार

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Aug 11, 2017

महासमुंद : जिले में नई आबकारी नीति की खुलकर धज्जियां उड़ रही हैं। जिले में कुल 36 देशी और विदेशी शराब दुकानें संचालित हो रही हैं, लेकिन किसी भी दुकान के पास फूड डिपार्टमेंट का लाइसेंस नहीं है। जबकि आबकारी विभाग से लाइसेंस लेने के बाद भी दुकान चलाने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य है, जिसका लाइसेंस शुल्क दो हजार रुपए है।

लाइसेंस नहीं लेने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 63 के तहत मुकदमा और दोष सिद्ध होने पर छह माह की कैद व पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी जहां कुछ भी कहने से बच रहे हैं, वहीं फूड एंड ड्रग विभाग इसके लिए आबकारी विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहा है।

शराब की ठेकेदारी प्रथा के समय से विभागीय तंत्रों के द्वारा शराब दुकानों के लिए फरमान जारी किए जाते रहे हैं. जिसमें खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग शराब की दुकानों को भी लाइसेंस जारी करेगा. यदि बिना लाइसेंस कोई दुकान चलती मिली, तो संबंधित ठेकेदार पर मुकदमा कायम किया जाएगा।

यही नहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के इंस्पेक्टर किसी भी दुकान पर छापा मारकर शराब के नमूने भी ले सकेंगे। जांच में शराब की गुणवत्ता में कमी मिलने पर भी मुकदमा दर्ज होग। लेकिन जब से नई आबकारी नीति लागू हुई है, तब से यह फरमान ठंडे बस्ते में चला गया है। आबकारी विभाग ही शराब दुकानों का संचालन कर रहा है और खुद विभाग ही नियमावली की धज्जियां उड़ा रहा है।


यह नियम नकली शराब बिक्री पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है। लेकिन विभाग की मनमर्जी के चलते सरकारी नियमों को ताक पर रख दिया गया है। करीब 6 माह से सरकारी दुकानों का संचालन हो रहा है। इस बारे में जब आबकारी विभाग के अधिकारी से सवाल किया गया, तो साहब बंद कैमरे के सामने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कुछ भी कहने से बचते रहे। वहीं खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारी इसे आबकारी विभाग की जिम्मेदारी बताने लगे।