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इस स्कूल को हैं राष्ट्रगान से एलर्जी, चल रही प्रबंधन की मनमानी

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Sep 25, 2017

कोरिया : देश के शासकीय और निजी स्कूलों में स्कूल शुरू होने से पहले राष्ट्रगान गाया जाता हैं लेकिन कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ में एक ऐसा भी स्कूल हैं, जहां राष्ट्रगान कोई मायने नहीं रखता। इस स्कूल में रोजाना राष्ट्रगान नहीं होता। 

स्कूल प्रबंधन के इस तुगलकी निर्णय का यहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक भी विरोध नहीं कर पाते। ऐसे में सवाल ये उठता हैं कि आखिर जब स्कूल को राष्ट्रगान में आपत्ति हैं, तो ऐसे में इस स्कूल का संचालन कैसे किया जा रहा हैं। 

कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ विकासखंड में आने वाले ग्राम चौघडा में सेंट पैट्रिक स्कूल संचालित हैं। लगभग 5 वर्ष पूर्व इस स्कूल की शुरुआत की गई थी, तब से लेकर आज तक इस स्कूल में राष्ट्रगान को लेकर स्कूल प्रबंधन के अपने बनाए नियम चलते हैं।

स्कूल प्रबंधन की जब मर्जी होती हैं, तब राष्ट्रगान करवा दिया, नहीं तो उनके लिए राष्ट्रगान कोई मायने नहीं रखता। हैरत वाली बात तो यह हैं कि इस स्कूल में जो स्टूडेंट बुक बच्चों को दी जाती हैं उस पूरी बुक में ना तो कहीं भारत का नक्शा हैं और न ही कहीं महात्मा गांधी की तस्वीर और न ही ऐसा कोई उल्लेख जिससे यह पता चले कि यह स्कूल भारत देश में संचालित हो रहा हैं।

इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों में दहशत इतनी कि वह स्कूल संचालक की इस मनमानी का खुल कर विरोध नहीं कर पाते। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जो ड्रेस तय की गई हैं, वह शहर की एकमात्र दुकान में मिलती हैं। जहां अभिभावकों को ऊंची कीमत देकर ड्रेस खरीदना पड़ता हैं।

इसके अलावा इस स्कूल में जो किताबें बच्चों को पढ़ने के लिए निर्धारित की गई हैं, उनके लिए भी एक दुकान तय की गई हैं। उसी दुकान में इस पूरी स्कूल की किताबें मिलती हैं। इस दुकान में बाजार में लगभग 15-20 रुपए में मिलने वाली किताबें लगभग डेढ़ सौ से 200 रुपए की कीमत देकर खरीदनी पड़ती हैं।

अभिवावक स्कूल की मनमानी फीस चुकाने के लिए भी मजबूर हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता हैं कि आखिर इतनी मनमानी करते हुए इस स्कूल का संचालन आखिर किसके इशारे पर हो रहा हैं। अगर इस स्कूल में रोज राष्ट्रगान नहीं कराया जा सकता, तो क्या इस स्कूल की मान्यता समाप्त नहीं कर देनी चाहिए।

इस बारे में जब अनुविभागीय अधिकारी राजस्व प्रदीप साहू से चर्चा की उन्होंने पूरे मामले की जांच करने की बात कही हैं। अब देखना हैं कि इस मामले में स्थानीय प्रशासन क्या कार्यवाई करता हैं।