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कुदरत का कहर, खेत बना रेगिस्तान

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Jul 31, 2017

दंतेवाड़ा : कल जिन खेतों में हरियाली थी। आज उन्हीं खेतों के रकबे रेगिस्तान में बदल गये। कुदरत का कहर पानी बनकर अन्नदाताओं के खेत पर इस कदर टूटा कि खड़ी धान की 10 एकड़ फसल बर्बाद हो गई। अब पीड़ित किसानों की कमर टूट गई हैं। क्योंकि मेहनत के खाद बीज सब खेत की बर्बादी में पानी के साथ बह गए, पर अब तक जवाबदार किसी विभागीय अफसर, बाढ़ आपदा प्रबंधन या जनप्रतिनिधियों ने किसानों की सुध तक नहीं ली।

दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक के ग्राम पंचायत टेटम के खाले टेटम में अतिवृष्टि ने आदिवासी किसानों के पूरे खेत-खलियान को चौपट कर दिया। अनवरत बारिश के चलते खेत के पास बने तालाब की मिट्टी टूट गई। तालाब के टूटते ही पानी सीधा खेतों से होकर रास्ता बना बैठी, जिससे खेत के बीच पूरी नदी सी बहने लगी और आसपास बाकी बचे खेत के हिस्से पर रेत जमा हो गई।

टेटम के खालेपारा के आदिवासी किसान हूंगा की जमीन पूरी तरह से बर्बाद हो गई। इसी कृषक के शामिल पट्टे में एक खेत से किसान मंगलू, कोशा, फगनू और जिम्मे बाई आश्रित होकर खेत के सहारे धान की खेती कर अपना जीवनयापन करते थे। जिनके खेत बर्बाद होने के बाद से सभी किसानों पर दुःख के बादल छा गए। किसानों ने बताया कि खेतों का अब तक फसल बीमा का लाभ नहीं मिला हैं। न ही बाढ़ आपदा प्रबन्धन की तरफ से मदद। रोज ब्लॉक मुख्यालय कटेकल्याण के चक्कर लगा रहे हैं, पर कोई सुनने को खाली नहीं।

दंतेवाड़ा जिले में 27342 किसान कृषि कार्य के लिए पंजीकृत हैं। जिसमें से 6348 किसान कटेकल्याण ब्लॉक से पंजीकृत हैं। जिनमें से अब 5℅ किसानों का फसल बीमा प्रशासन नहीं करवा पाई हैं। इफ्को टोकियो नामक कंपनी ने वर्ष 2016 में महज 540 किसानों का पंजीयन किया। इस वर्ष 150 और किसानों का पंजीयन किया। सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना का लाभ आदिवासी बहुल इलाकों में दंतेवाड़ा जिले में शून्य दिखाई दे रही हैं।