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कैसे बना जशपुर हाथियों का खुला चारागाह

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Jul 19, 2017

जशपुर : जिले में 40 हाथी अलग-अलग दल में जंगलों से निकलकर इंसानों की बस्ती के साथ ही खेतों में धावा बोल रहे हैं। वन विभाग की टीम हाथी प्रभावित इलाकों में लगातार गश्त कर ग्रामीणों को हाथियों से दूर रखने की कोशिश में जुटी हुई हैं। जिसके चलते जशपुर हाथियों के लिए खुला चारागाह बन गया हैं।

जशपुर जिले में ओडिशा सीमा से, तो कभी सरगुजा की सीमा से आकर ये जंगली हाथी बीते 24 वर्षों से ग्रामीणों की फसल चौपट कर रहे हैं, तो कभी मकान उजाड़ रहे हैं। गांवों में रहने वाले लोग इस कदर खौफ के साए में रह रहे हैं कि इन्हें यह नहीं पता कि इस रात की सुबह होगी भी या नहीं।

अभी जशपुर जिले में कटहल पकने का समय शुरू हो चूका हैं। ऐसे में जंगली हाथी पके कटहल की खुश्बू पाकर गांव की ओर आने लगे हैं। कुनकुरी वन क्षेत्र से सटे गांव में इन जंगली हाथियों ने कई ग्रामीणों के बाड़ियों में घुसकर कटहल की फसल चट की हैं। इसके साथ ही खेत में लगे धान की फसल भी हजम करने लगे हैं। लगातार हाथियों की बढ़ती संख्या से ग्रामीण दहशत में हैं।

वहीं वन विभाग की टीम लोगों के साथ मिलकर हाथियों को सुरक्षित निकालने के लिए काम कर रही हैं। सरकार ने हाथी से हुए नुकसान का मुवावजा बढ़ाने के बाद अब किसान भी हाथियों को भगाने के लिए अपनी जान खतरे में डालने से बच रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी लगातार हाथियों की मूवमेंट को लेकर रेडियो, मोबाइल व गश्ती के जरिये सूचना देकर अलर्ट कर रहे हैं। इसके साथ ही कटहल के पकने से पहले तोड़ने के लिए अपील कर रहे हैं।

बहरहाल जशपुर में हाथियों के मानव बस्तियों की ओर बढ़ते कदम को रोकने के लिए सरकार के पास कोई खास योजना नहीं हैं। एलिफेंट कॉरिडोर बनाने की फाइल भी मंत्रालय में धूल खा रही हैं।