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क्लास रूम में छाता लेकर बच्चे पढ़ने को मजबूर

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Jul 27, 2017

जशपुर : जिले में झमाझम बारिश के साथ शिक्षा गुणवत्ता के सारे दावे धुलते नजर आ रहे हैं। लगातार 72 घंटों की झमाझम बारिश ने जिला प्रशासन के सारे दावों की पोल खोल दी हैं। जशपुर जिले के सरकारी जर्जर स्कूल बारिश के साथ कई समस्या लेकर सामने आ रहे हैं। न केवल स्कूलों की हालत जर्जर हैं, बल्कि छात्र जान जोखिम में डालकर क्लास रूम में छाता लेकर पढ़ने को मजबूर हैं। मासूम बच्चे जान हथेली पर रखकर स्कूलों के भवन में प्रवेश करते हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि कब स्कूल भवन की छत गिर जाए। क्लास रूम भी ऐसा जहां छत से पानी ऐसे टपकता हैं जैसे बारिश हो रही हो। जिले में सैकड़ों स्कूल ऐसे हैं जहां आज भी यही स्थिति बनी हुई हैं।

एक ओर जहां बात हो रही हो शिक्षा गुणवत्ता की, वहीं शिक्षा देने वाले सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर बनी हुई हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जशपुर जिले के प्राथमिक शाला से लेकर हाईस्कूल तक सैकड़ों स्कूल जर्जर अवस्था में हैं। जशपुर जिले के सिंगीबहार प्राथमिक शाला में बरसात के दिनों में बच्चों को स्कूल में छाता लगा के पढ़ना पडता हैं। क्या करें पढ़ाई जरूरी हैं, अब इनकी मजबूरी कौन समझे। स्कूलों की छत से सरिया दिखाई दे रहा हैं। छात्राओं ने बताया कि 11 वीं कॉमर्स की कक्षा में पानी टपकने के कारण दूसरे अतिरिक्त कक्ष में 11 वीं व 12 वीं की कक्षा एक ही कमरे में लगाते हैं, जिससे परेशानी होती हैं, वहीं अतिरिक्त कक्ष का भी हाल बेहाल हैं। जिसमें छात्राएं काम चला लेती हैं। 

इस समस्या को लेकर जिला प्रशासन तक जब पड़ताल की गई तो पता चला कि जिले में जीर्ण-शीर्ण जर्जर अवस्था के स्कूलों के निर्माण व मरम्मत के लिए कलेक्टर ने खनिज न्यास मद से 181 स्कूलों के लिए 1 करोड़ 35 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की हैं। जिसमें लगभग 105 स्कूलों का कार्य जुलाई के पूर्व पूरा किया जा चूका हैं, वहीं शेष 55 स्कूलों के कार्यो को भी 15 जुलाई तक पूरा करा लिया जाना था। जो अब तक पूरा नहीं किया गया हैं। फिलहाल यह देखने वाली बात हैं कि यदि कागजों में कार्य पूरा किया गया हैं, तो जमीनी स्तर पर स्कूलों की ऐसी बदहाली क्यूं?