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ढाई दिन में छग विधानसभा अनिश्चितकालीन के लिए स्थगित

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Aug 3, 2017

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा का सत्र् 11 अगस्त तक चलना था, लेकिन ढाई दिन में ही सत्र् समाप्त हो गया। सत्र् के तीसरे दिन अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित कर दिया, जबकि 8 दिनों के सत्र में कुल 8 बैठकें होनी थी, जो नहीं हो पाई। पहले दिन से ही सदन में विपक्ष का जोरदार हंगामा चलते रहा और सदन की कार्यवाही हंगामे की बीच ही तीसरे दिन में भोजन अवकाश के पहले समाप्त हो गई। तीसरे दिन की कार्यवाही में विपक्ष के सदस्यों ने सत्ता पक्ष को जमकर घेरा। मंत्री बृजमोहन के इस्तीफे की मांग के साथ-साथ कई अन्य मुद्दों पर विपक्ष के तेवर कड़े रहे। सवाल यह उठता हैं कि आखिर क्यों ढाई दिन में सत्र समाप्त कर दिया गया? क्या विपक्ष के तेवरों से सरकार घबरा गई हैं?

ढाई दिन विपक्ष का हंगामा

पहले दिन किसानों की आत्महत्या के मामले में विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। दूसरे दिन महासमुंद के जलकी गांव के रिसॉर्ट कांड में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे की मांग को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। तीसरे दिन भी विपक्ष के तेवर कड़े रहे और भोजन अवकाश के पहले ही मानसूत्र को समाप्त करने की घोषणा कर दी गई।

लोकतंत्र को आघात : टीएस सिंहदेव

सत्र् को 8 दिन पहले समाप्त करने पर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने इसे लोकतंत्र को आघात बताया हैं। उन्होंने कहा कि सरकार अपने दामन में लगे दाग को छिपाना चाहती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर मंत्रियों के भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया हैं।

सरकार का उतरा मुखौटा : भूपेश बघेल

पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि संसदीय प्रणाली में विधानसभा के चलते कार्यदिवस में अनुपूरक कार्यसूची बहुत कम जारी किया जाता हैं। इसका मतलब हैं कि सरकार विधानसभा समाप्त करना चाहती थी। क्योंकि पनामा पेपर लीक मामले का जिक्र किया गया। चर्चा में ये बात सामने आती की वर्जिन आइलैंड में कमीशन का जो पैसा हैं, उस काले धन को छिपाने में खाता खोला गया। जिस पाकिस्तान को हम कमजोर कहते हैं, वहां के पीएम को इस्तीफा देना पड़ता, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हुआ। स्थगन का मुद्दा यही था, इसलिए सदन की कार्यवाही समाप्त कर दी गई। सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की हैं। बीजेपी को लोकतंत्र में विश्वास नहीं हैं। सरकार का मुखौटा उतर चुका हैं, जनता इस बात को बखूबी जान चुकी हैं। विधानसभा अध्यक्ष मौन हो गए थे। लोकतंत्र को जो भी कमजोर करने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ रहेंगे। जनता के बीच जा कर लोकतंत्र की हत्या की  जानकारी देंगे।

विपक्ष कन्फ्यूज्ड : सीएम

उधर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने विपक्ष के आरोपों पर उन्हें कन्फ्यूज्ड बताया हैं, उन्होंने कहा कि विधानसभा चर्चा के लिए हैं। यहां प्रश्न लगते हैं, ध्यानाकर्षण लगता हैं, स्थगन पर चर्चा होती हैं। अब तो सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण हो रहा हैं। लाखों रुपए इसके लिए खर्च किये जा रहे हैं। देश और प्रदेश की जनता सीधे कार्यवाही देखती हैं, लेकिन ये आश्चर्य का विषय हैं कि विपक्ष प्रश्नकाल में प्रश्न नहीं करेगा, ध्यानाकर्षण में खड़े नहीं होगा, तो ऐसे में विधानसभा चलाने का क्या मतलब। विधानसभा विपक्ष की सबसे बड़ी ताकत हैं। इससे बड़ी कोई दूसरी ताकत नहीं हो सकती। एक-एक जवाब के लिए मंत्री से लेकर अधिकारियों को बहुत मेहनत करनी होती हैं। यदि कोई सदस्य जवाब से असंतुष्ट होता हैं तो और भी दूसरे माध्यम हैं, उन माध्यमों का उपयोग करना चाहिए। सरकार लंबे समय तक बैठकर चर्चा के लिए तैयार हैं।

इधर सरकार को निशाने में लेने पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हैं, विचाराधीन हैं, ऐसे मुद्दों पर चर्चा नहीं हो सकती हैं। मुद्दा उठाने वाले लोगों ने ही सुप्रीम कोर्ट में मामला लगाया हैं। जहां इन्होंने अपनी बात रखी हैं, वह सबसे बड़ा न्यायालय हैं।