Oct 4, 2017
गरियाबंद : जिला प्रशासन पीएम आवास योजना को लेकर गंभीर नहीं हैं। इस साल शुरू हुई पीएम आवास योजना तो दूर, दो साल पहले इंदिरा आवास योजना के तहत स्वीकृत किए गए भवन को पूरा करने में भी जिला प्रशासन गंभीर नहीं हैं।
इंदिरा आवास योजना के तहत स्वीकृत हुए मकान आज भी बड़ी संख्या में अधूरे पड़े हुए हैं। जिन हितग्राहियों ने सेठ साहूकारों से उधारी लेकर अपने मकान पूर्ण कर भी लिए, उनकी राशि जारी करने में जिला प्रशासन अडंगा डाले बैठा हैं।
गरियाबंद जिले का वनांचल गांव मौहाभाठा में 100 परिवारों के लिए पीएम आवास, इंदिरा आवास और वन अधिकार पट्टा के तहत 76 मकानों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित हैं। यहां मकान बनना शुरू तो हुए, मगर पहली किस्त के बाद राशि जारी नहीं होने के कारण अधिकांश मकान अधूरे पड़े हैं। जबकि कुछ मकान तो दो साल पहले स्वीकृत हुए थे।
दो साल में हितग्राहियों को पहली किस्त ही मिल पाई। दूसरी किस्त के लिए हितग्राही दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। कुछ हितग्राहियों ने सेठ साहूकारों से रकम उधारी लेकर अपने भवन का काम तो पूरा लिया, लेकिन अब उनकी रकम लौटाने में पसीना निकल रहा हैं। वहीं कुछ हितग्राहियों का मकान दूसरी किस्त के इंतजार में अधूरा पड़ा हुआ हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना 2020 तक देश के प्रत्येक परिवार को पक्का घर देने का हैं। इसको लेकर युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे हैं, मगर गरियाबंद जिले में इसके बिल्कुल विपरीत हो रहा हैं। दो साल से स्वीकृत मकान भी जिला प्रशासन पूर्ण नहीं कर पा रहा हैं।
अधिकारी हितग्राहियों को परेशानी होने की बात तो स्वीकार कर रहे हैं, मगर टेक्निकल समस्या होने की बात कहकर अपना पल्ला झाडने में लगे हैं। अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा हितग्राहियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ रहा हैं।
अधिकारियों का कामकाज न केवल हितग्राहियों के लिए परेशानी का सबक बना हुआ हैं, बल्कि सरकार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गआ हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमि हैं कि प्रधानमंत्री का 2020 तक सभी परिवारों को पक्का घर मुहैया कराने का सपना गरियाबंद जिले में कैसे पूरा होगा।