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ये कैसे गुरु... जो नशे में आता है स्कूल  

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Nov 17, 2017

कोरिया : गुरु ज्ञान के भंडार होते हैं, लेकिन अगर वह शराब के नशे में धुत्त होकर स्कूल पहुंचने लगे और बच्चों के साथ मारपीट करने लगे, तो ऐसे गुरु को क्या संज्ञा दी जाए? इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

कोरिया जिले के गेल्हापानी में संचालित प्राथमिक स्कूल के बच्चों को जहां गुरु से ज्ञान मिलना चाहिए, वहां पर गुरु की हरकतों से बच्चे परेशान है। चिरमिरी के गेल्हापानी इलाके में शासकीय प्राथमिक स्कूल संचालित है। यहां मजदूर वर्ग के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।

बीते दो दिनों से स्कूल में ताला लटका हुआ है। यह वहीं स्कूल है जहां बीते 14 नवंबर बाल दिवस के दिन एक शिक्षक शराब के नशे में धुत्त होकर पहुंचा था। जब उनसे बातचीत की गई, तो उसकी सारी कलई खुलकर सामने आ गई। 14 नवंबर को पूरे भारतवर्ष में बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है, लेकिन शिक्षक बच्चों को बता रहे थे कि शहीद दिवस है।

जब शराब के नशे में धुत्त होकर आने की वजह पूछी गई, तो उन्होंने कहा कि उनकी आंख में बीमारी है। घटना के दूसरे दिन शिक्षक स्कूल से नदारद रहा। जब स्कूल पहुंच कर बच्चों से जानकारी चाहिए, तो बच्चों ने जो जानकारी दी, वह काफी चौकाने वाली थी।

स्कूल में बच्चे पढ़ाई करने तो आते हैं, लेकिन उन्हें गुरु से ज्ञान नहीं मिलता। बच्चों ने बताया कि स्कूल के शिक्षक अक्सर शराब के नशे में धुत्त होकर आते हैं। जब बच्चे उन्हें पढ़ाने की बात कहते हैं, तो शिक्षक उन्हें डस्टर फेंक कर मारते हैं। बाल व कान पकड़ कर उठा देते हैं।

हैरत वाली बात तो यह है कि यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है, लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद भी अभी तक इस स्कूल के शिक्षक पर कोई कार्यवाई नहीं हुई। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि शासन के लाखों करोड़ों खर्च करने के बाद अगर बच्चों को शब्द का ज्ञान भी नहीं हो पाए, तो इसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी है?