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रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनर ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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May 29, 2017

दुर्ग। शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोला छाप डाक्टरों पर हुई कार्यवाही को लेकर रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनर ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जिसे लेकर रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनर के लगभग सैकड़ो डाक्टरों ने शासन और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उन पर की गयी कार्यवाही को गलत बताया। साथ ही उनका कहना है कि इस तरह की कार्यवाही द्वेषपूर्ण व बड़े अस्पतालों को लाभ पहुंचने के उद्देश्य से की गयी है। उनका कहना था कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य के रीढ़ की तरह काम करते है जिससे लोगों को उचित समय और स्थान पर स्वास्थ्य लाभ मिल जाता है। साथ ही उनके कार्य से पुरे जिले में कई लोगों की जान भी बची है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा समय-समय पर चलाये जाने वाले राष्ट्रिय कार्यक्रम पल्स पोलियो, टीबी डाट्स, कुष्ठ उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों में डॉक्टरों ने जिला चिकित्सा विभाग की सहभागिता के तौर पर कार्य किया है। पिछले 25 सालो से भी अधिक समय से ऐसे डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में मरीजों को प्राथमिक सेवाएं देकर लोगों की जान बचाने में लगे है। उनका कहना है कि बड़े अस्पताल और बड़े डाक्टरों की तरह वे मरीजों से मोटी फीस वसूले बिना ही कम पैसों में जनता को इलाज मुहैया करते है। सरकार द्वारा की जा रही कार्यवाही द्वेषपूर्ण है। जिस तरह से 12 राज्यों की सरकारों ने रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनरो को मान्यता दी है ठीक उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ की सरकार उन्हें उनका हक़ दे, ताकि प्रदेश भर के 2.5 लाख रूरल मेडिकल डाक्टर अपने काम में लौट कर अपनी सेवाएं दे सके। वहीं रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनर संघ के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि जल्द ही अगर सरकार ने उनके बारे में फैसला नहीं लिया तो वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे। वहीं आगे वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण लेकर अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़ेंगे। फ़िलहाल ग्रामीण क्षेत्रो में कार्यरत इन डाक्टरों ने अपना कार्य बंद रखा है ऐसे में ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवा ठप्प पड़ गयी है।