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शराब बंदी को लेकर सख्त कदम क्यों नहीं?

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Dec 27, 2017

महासमुंद। शराब बंदी छत्तीसगढ़ सरकार का एक अहम मुद्दा है। सरकारी शराब दुकान का विरोध और शराबबंदी की मांग को लेकर प्रदेश में लंबे समय तक आंदोलन भी चला, लेकिन आबकारी की नई नीति के बाद शराब की खपत को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद ही चौंकाने वाले हैं।

सरकार द्वारा खोली गई शराब दुकान से महज 8 महीने में रिकॉर्डतोड़ शराब की बिक्री हुई है। महासमुंद जिले से प्रदेश में शराब बंदी को लेकर आंदोलन की शुरुआत हुई थी, इसे लेकर सड़क से सदन तक आवाज भी मुखर हुई,लेकिन 8 महीनों में शराब बिक्री से मिले अरबों के राजस्व को छोड़कर सरकार नुकसान नहीं उठाना चाहेगी।

यही कारण है कि सरकार पूर्ण शराब बंदी को लेकर सख्त नजर नहीं आ रही है। आपको बता दें कि बीते 8 महीनों में महासमुंद जिले में 1 अरब 40 करोड़ रूपये का जाम छलका है, जो ठेकेदारी प्रथा से कहीं ज्यादा है।

80 करोड़ के राजस्व का फायदा

बीते 8 माह में अकेले महासमुंद जिले से सरकार को 80 करोड़ के राजस्व का फायदा हुआ है। पिछले साल ठेकेदारी प्रथा में महज़ 95 करोड़ की शराब की बिक्री विभाग ने की थी,जो इस साल 15 प्रतिशत ज्यादा है,शराब बंदी को लेकर लगातार आंदोलन पर रहे निर्दलीय विधायक विमल चोपड़ा ने सरकार की इस नीति पर सवाल खड़ा किया है। विधायक की मानें तो सरकार ने गांव-गांव से कोचिया प्रथा करने के जिस उद्देश्य से शराब दुकानों को हैंडओवर किया था ,उससे कोचिया कम तो नहीं हुए बल्कि और भी बढ़़ गए।