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शिक्षा विभाग की लापरवाही, बिना पुस्तक के कैसे जिनगी गढ़ें छात्र

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Aug 11, 2017

महासमुंद : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में शिक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। छग के शिक्षा विभाग ने बच्चों को स्कूल जाने के लिए 'स्कूल आ बढ़े बर,जिनगी ला गढ़े बर' का स्लोगन दिया। लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा जारी मिशन में छात्र बिना पुस्तक के कैसे अपनी जिनगी गढ़ें, शिक्षा विभाग के लिए ये एक बडा सवाल है। महासमुंद जिले में शिक्षा सत्र शुरू हुए पांच माह हो गए है, इसके बाद भी 23 हजार 123 छात्र-छात्राओं को किताबे नसीब नहीं हुई। जिससे उन्हें पढ़ाई करने में काफी दिक्कत हो रही हैं।

बच्चों को चिंता सता रही है कि बिना पुस्तकों के, तिमाही परीक्षा कैसे दें ,वही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी तीन माह से पुस्तक उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। महासमुंद जिले में 1826 शासकीय व 224 अशासकीय विद्यालय है । जिसमें लगभग 2 लाख 27 हजार 282 छात्र-छात्रायें अध्ययनरत है । शिक्षा विभाग ने शिक्षा सत्र प्रारंभ होने से लेकर आज तक 2 लाख 4 हजार 159 छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तक उपलब्ध करा पायी है। कक्षा पहली से लेकर दसवीं तक के 23 हजार 123 बच्चों को आज तक पुस्तक नहीं मिली है। किताबें न मिलने से बच्चों को पढ़ाई करने में काफी दिक्कते आ रही है। बच्चे स्कूलों में बिना पुस्तकों के बैठे है। अगस्त माह में तिमाही परीक्षा होनी है। - सत्यम सिंह साठौर - दसवीं का छात्र - शासकीय डीएमएस हाई स्कूल महासमुंद

इस पूरे मामले मे शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के प्रधानाचार्य जब पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारियों से मुलाकात कर पुस्तक की डिमांड पूरी करने की बात कही तो अधिकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से पुस्तकों की डिमांड नहीं आने की बात कही। - आर के तिवारी - प्राचार्य - महर्षि विद्या मंदिर महासमुंद

गौरतलब है कि शासन -प्रशासन शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले ही सारी तैयारियां पूर्ण कर लेने का दम भरते है ,पर जमीनी हकीकत यह है कि पांच माह बाद भी बच्चों को न तो पुस्तके मिल पाई है और न ही यूनीफार्म ,जो शिक्षा विभाग के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।