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सुकमा में शहीद 25 जवानों के परिजन को जल्द ही दिल्ली से आएगा बुलावा

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Jun 10, 2017

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद क्रिकेटर गौतम गंभीर ने इस हमले में शहीद हुए जवानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। गौतम गंभीर जो अक्सर यह कहते रहे हैं कि उनका पहला प्यार क्रिकेट नहीं बल्कि सेना है, उन्होंने शहीद जवानों के बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने के अलावा 9 मई को IPL में दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ जीता अपना मैन ऑफ द मैच का खिताब भी शहीदों के नाम कर दिया था। इस मैच में कोलकाता नाइट राइडर्स ने दिल्ली डेयरडेविल्स को हराया था।

गौतम की टीम ने इस संबंध में सीआरपीएफ से मदद करने को कहा है, ताकि बाकि के शहीदों के परिजनों से संपर्क कर जल्द ही उन्हें पैसा ट्रांस्फर कर दिया जाए। एक बार जब गौतम की यह टीम सभी परिजनों से संपर्क कर लेगी और उनके सभी जरूरी डिटेल उनके पास आ जाएंगे, तो गंभीर की योजना है कि वह सभी (शहीदों के परिजनों) को दिल्ली बुलाकर उनसे बात करें। गंभीर के इस कदम के बारे में जब सीआरपीएफ के प्रवक्ता से बात की गई, तो उन्होंने कहा, 'हम गंभीर की इस पहल की सराहना करते हैं और सुकमा में शहीद हुए जवानों के परिवार की मदद करने के लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं।' यह एक चैलेंजिंग प्रॉजेक्ट है, लेकिन गंभीर ने उम्मीद जताई है कि उनसे जो संभव होगा वह सुरक्षा बलों के लिए करना चाहते हैं।

गंभीर ने बताया कि जवाव लंबे समय तक अपने घरों में नहीं जाते। इन्हें लंबी छुट्टियां नहीं मिलती। ज्यादातर समय वह अपने घर से बाहर ही बिताते हैं। ये लोग (सेना और अर्धसैनिक बल) सियाचिन में, कश्मीर में, छत्तीसगढ़ में जीने की असंभव स्थितियों में रहते हैं। अपने जीवन को दांव पर लगाकर वह देश की सेवा करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि कोई उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए कोई कहता नहीं है। यह रवैया दर्शाता है कि हम उनकी सेवा के पीछे क्या भाव रखते हैं। मैं हमेशा कहता हूं कि कभी अपने आपको उस स्थिति में रखकर देखें। जब मैं अपने आप को इस स्थिति में रखता हूं, अपना परिवार, अपना घर, अपनी बेटी छोड़ना और यह भी तय नहीं होता कि अगली बार हम अपने परिवार से कब मिलेंगे या दोबारा उन्हें देख भी पाएंगे या नहीं... ऐसी भयानक परिस्थितियों में रहने वाले सैनिकों को कभी-कभी कड़े कदम में उठाने पड़ते हैं ऐसे में हमें उनकी कार्रवाइयों पर सवालिया निशान नहीं खड़े करने चाहिए।

सेना के लिए गौतम ने कहा कि मैं हमेशा बोलूंगा, बिना यह जाने कि वह किन कठिन परिस्थितियों में रहते हैं आप उनके द्वारा लिए गए कड़े ऐक्शन पर सवाल नहीं उठा सकते। लोग त्वरित ही ऑनलाइन राय बना लेते हैं। और वह तुरंत ही राय बदल भी लेते हैं। अगर आपकी कोई राय है, तो फिर उसके साथ अंत तक खड़े रहो। मैंने जो भी सोशल मीडिया पर कहा है, मैं उन विचारों पर अडिग हूं।