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मुंगेली में 1 नही 15 मुर्दे हो गए जिंदा, विभागों के काट रहे हैं चक्कर

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Oct 11, 2018

रोहित कश्यप : क्या आपने कभी जीवित व्यक्ति को खुद को जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए भटकते देखा है अगर नही तो आज हम एक ऐसे ही मामले से अवगत करा रहे हैं जहां प्रशासन के अजब कारनामे ने दर्जनों जीवित व्यक्ति को मृत कर दिया है। मुंगेली के विधायक आदर्श गांव डांड़गांव में पंचायत की लापरवाही से 10 से 15 व्यक्तियों को मृत घोषित कर दिया गया जिससे पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने के प्रमाण के लिए दर दर भटकने को मजबूर है ऐसे में इनको शासकीय रिकार्ड में मृत बताने की वजह से इन्हें शासन की किसी योजना का लाभ नही मिल पा रहा है,वही मामले पर जनपद के सीईओ ने जिला पंचायत को निलंबन का प्रस्ताव भेजा है लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में होने की वजह से अधिकारियों के ऊपर प्रश्न चिन्ह लग रहे है।

पंचायत की बड़ी लापरवा​ही
जी हां इस गांव में पंचायत की लापरवाही से 15 जीवित व्यक्तियों को शासकीय रिकार्ड में मृत बता दिया गया है जिससे पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने का प्रमाण के लिए विभागों के चक्कर काट रहे है मामला मुंगेली जिले के पथरिया विकासखण्ड के डांड़गांव का है जहाँ लापरवाही का ऐसा आलम की पीएम आवास योजना के तहत पात्र हुए जीवित हितग्राहियों को मृत बताकर अपात्र कर दिया गया अपने घर में अपनी पत्नी के साथ बैठा यह व्यक्ति गौतम घोषले है जो आमलोगों की तरह चल फिर उठ बैठ ,आना जाना कर सकता है दिखने में जीवित है। लेकिन पंचायत ने इसे मृत घोषित कर दिया है तबसे गौतम घोषले अपने जीवित होने का प्रमाण के लिए विभाग के चक्कर काट रहा है यहां तक इसने जनदर्शन में भी शिकायत की है लेकिन अब तक इसका निपटारा नही हो सका। ऐसा नही है कि गांव में अकेले गौतम घोषले ही को पंचायत ने मृत बताया बल्कि 1 नही पूरे 15 व्यक्तियों को शासकीय रिकार्ड में पंचायत ने मृत घोषित कर दिया है। 

पंचायत ने लोगों को बताया मृत
पीड़ितों को जानकारी तब हुई जब ग्राम पंचायत सभा मे सरपंच व सचिव ने यह कह दिया कि पंचायत के कहने में उन्हें मृत किया गया है जिसके बाद से आज तक पीड़ित व्यक्ति अपने जीवित होने का प्रमाण ले लेकर विभागों के चक्कर काटने को मजबूर है। मामले की जानकारी लेने जब हम पंचायत के सचिव के पास पहुचे तब उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में सभी के कहने से उनसे त्रुटि हो गई है जिसको सुधारने के लिए शासन स्तर पर भेज दिया गया है।

जिला पंचायत सीईओ को निलंबन का प्रस्ताव 
वही मामले की जांच भी पथरिया जनपद के द्वारा कराई गई जिसमे पंचायत के सचिव को दोषी पाया गया जिसके बाद जनपद सीईओ जिला पंचायत सीईओ को निलंबन का प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन मामला ठंडे बस्ते में है, वही मामले की जानकारी जिला पंचायत सीईओ के पास हम लेकर पहुचे तो साहब ने त्रुटि होने पर जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया वही निलंबन के प्रस्ताव उनतक नही पहुचने की बात करते हुए बताया इसकी जानकारी जनपद सीईओ से ली जाएगी उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।

कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों की उदासीनता 
मामले पर कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों की उदासीनता उनके ऊपर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है जिन हितग्राहियों को मृत बताया गया अगर ऐसी लापरवाही नही होती तो आज उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ मिलता जिससे उन्हें टूटी फूटी झोपड़ियों में रहने की जरूरत नही होती वही आज उन्हें जीवित होने का प्रमाण के लिए दर दर भटकने की जरूरत नही होती और उन्हें शासन की योजनाओं से वंचित नही होना पड़ता।