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विस चुनाव को लेकर छग में सियासी घमासान, राइट टू री कॉल से चुनावी माहौल गर्म

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Oct 13, 2018

निमिष तिवारी : छत्तीसगढ़ में एक तरफ जहां विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ महासमुंद के बागबाहरा में नगर पालिका के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले "राइट टू री कॉल" चुनाव ने यहां के चुनावी माहौल को और भी ज्यादा गर्म कर दिया है अध्यक्ष जहां अपनी कुर्सी को बचाने एक बार फिर दांव खेल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी भी कुर्सी खाली कराने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

बागबाहरा नगर पालिका अध्यक्ष को वापस बुलाने के लिए बागबाहरा में 14 अक्टूबर को खाली कुर्सी और भरी कुर्सी पर मतदान होने जा रहा है। पालिका क्षेत्र में होने जा रहे इस चुनाव में नगर पालिका अध्यक्ष स्वयं और रीकॉल के लिए आवेदन लगाने वाले 14 पार्षद चुनाव की रणभूमि में कूद चुके हैं दोनों ही दल मतदाताओं से अपने अपने पक्ष  में वोट कराने संपर्क करते नजर आ रहे हैं दरसल जनवरी 2015 में बागबाहरा नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिये चुनकर आई कांग्रेस की बसंती बघेल, अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के शंकर तांडी को करीब 2285 वोटों से हराकर अध्यक्ष बनीं। बसंती बघेल को जरा भी भान नहीं था कि उनका कार्यकाल पूरा होने के पहले ही उन्हें एक बार फिर चुनाव का सामना करना पड़ेगा। कार्यकाल के प्रारंभ से ही 5 कांग्रेस, 5 भाजपा और 5 निर्दलीय पार्षदों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पाने के कारण अध्यक्ष की परेशानी शुरू हो चुकी थी तीन बार पीआईसी में फेरबदल के बाद भी अध्यक्ष की परेशानी कम नहीं हुई।

9 पार्षदों ने अध्यक्ष पर मनमानी का आरोप लगाते हुए और अध्यक्ष पति के द्वारा पालिका के कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर को सामुहिक इस्तीफा सौंपा था। मगर इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया। कुछ स्थानीय नेताओं की समझाईश के बाद पार्षदों और अध्यक्ष के बीच दिखावटी समझौता तो हो गया लेकिन अंदर ही अंदर कड़वाहट बढ़ती गई और 26 जून 2018 को 15 में से 14 पार्षदों ने कलेक्टर को राईट टू रिकॉल का आवेदन दिया। जिसके बाद 27 जून को जांच अधिकारी ने हस्ताक्षर मिलान किया। 29 जून को कलेक्टर ने 14 पार्षदों का बयान लिया और प्रकरण राज्य शासन को भेज दिया। राज्य शासन ने राज्य निर्वाचन आयोग को प्रकरण भेजा और राज्य निर्वाचन आयोग ने आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 14 अक्टूबर को मतदान और 17 अक्टूबर को मतगणना की तिथि घोषित कर दी है।

प्रशासन की समूची प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा 14 अक्टूबर की तिथि घोषित कर अध्यक्ष के फैसले के लिए गेंद आम जनता के पाले में डाल दी गयी है। यही कारण है कि जनता के दरबार को भूली अध्यक्ष एक बार फिर जनता के सामने झुककर समर्थन मांगते नजर आ रही हैं और अपने व अपने पति के ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए एक बार फिर जीत का दावा करने  से पीछे नहीं हट रही हैं। 14 अक्टूबर को होने वाले घमासान को देखते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी ने तमाम प्रक्रिया पूरी कर ली है और निर्वाचन के लिए दलों के रवाना होने के साथ ही 14 अक्टूबर को चुनाव पूरा कराने और 17 को परिणाम घोषित करने की बात कर रहे हैं। 
बागबाहरा के 13281 मतदाताओं को खाली कुर्सी-भरी कुर्सी पर मतदान कर अध्यक्ष के भाग्य का फैसला करना है।अब देखना यह है कि खाली कुर्सी और भरी कुर्सी के बीच होने वाले इस चुनाव में किसकी जीत होती है। बहरहाल शोर शराबे के साथ प्रचार पर रोक लग गई है अब दोनों ही पक्षों का डोर टू डोर संपर्क होगा और 14 अक्टूबर को बागबाहरा की जनता के मत ईव्हीएम में कैद होंगे।