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विपणन विभाग की बड़ी लापरवाही, धान में सूखत से शासन को 17 करोड़ का नुकसान

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Oct 4, 2019

रेख राज : महासमुंद जिले में विपणन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। सही समय पर धान का कस्टम मिलिंग के लिए उठाव नहीं होने के कारण धान संग्रहण केन्द्रों में 71 हजार क्विंटल से भी अधिक धान की सूखत आई है जिससे शासन को 17 करोड़ से भी अधिक का नुकसान हुआ है। विभाग के सुस्त रवैय्या के चलते अन्नदाताओं की खून पसीने से उगाई गई करोड़ों रूपये की धान की फसल रखरखाव में नुकसान हो गई। ऐसा हम नहीं बल्कि विभाग के ही शासकीय आंकड़े बयां कर रहे है।

5 धान संग्रहण केन्द्रों में भंडारण
दरअसल खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में समर्थन मूल्य पर जिले के 81 धान खरीदी केन्द्रों के माध्यम से 31 लाख 25 हजार 879 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी। जिसे जिले के 5 धान संग्रहण केन्द्रों में भंडारण कर रखा गया था। संग्रहण केन्द्रों से राईस मिलरों को 30 लाख 54 हजार 96 क्विंटल धान कस्टम मिलिंग के लिए मिलरों को दिया गया।शेष 71 हजार 782 क्विंटल धान रख रखाव के अभाव और समय पर मिलरों के द्वारा उठाव नहीं करने के कारण गर्मी में सूख गये या यह कहें कि धान संग्रहण केन्द्रों में खुले आसमान में रखे होने के कारण बर्बाद हो गया जो धान बर्बाद व सूख गये उसकी कीमत 17 करोड़ रूपये से भी अधिक है। जिसकी भरपाई सरकार को अपने खजाने से करना पड़ेगा।

2500 रूपये समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने इस साल 2500 रूपये समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की है, जबकि पिछले साल की तुलना की जाये तो खरीफ वर्ष 2017-18 में 20 लाख 77 हजार 128 क्विंटल धान की खरीदी की गई थी और मिलरों के द्वारा 20 लाख 52 हजार 368 क्विंटल धान उठाव किया था। शेष 24 हजार 760 क्विंटल धान जिले के पांचो संग्रहण केन्द्रों से सूखत के रूप में कम हो गया था। जिसकी कीमत 5 करोड़ ही थी। दोनों सालों की तुलना करें तो वर्ष 2018-19 में पिछले साल की तुलना में तीन गुना से भी ज्यादा का नुकसान मार्कफेड को हुआ है। यहां यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर करोड़ों के नुकसान का जिम्मेदार कौन है। इस पूरे मामले में मार्कफेड के आला अधिकारी दबे सुर में नुकसान होना तो स्वीकार कर रहे है लेकिन भरपाई और नुकसान के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा जिम्मेदारी तय करने की बात कर रहे है।