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18 साल बीत जाने के बाद भी नही हुआ पुल निर्माण, ग्रामीणों को करना पड़ रहा है भारी दिक्कतों का सामना

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Jul 22, 2018

सुशील सलाम : आदिवासी बहुल कांकेर जिले के अन्दुरुहनी इलाकों में निवासरत ग्रामीण आज भी मार्ग से कोशो दूर है जहाँ लोगों को चलने के लिए पक्की सड़क ना ही नदी नालों में ना पुल पुलिया का निर्माण किया गया है ऐसे में ग्रामीणों को बारिश के दिनों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है वहीं हम बात कर रहे है मुडागाँव पंचायत और कंजाडी के ग्रामीणों की जहाँ मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ विभाजन के बाद से कई बार शासन प्रसाशन से नदी पर पुलिया बनाने की गुहार लगाते लगाते थक चुके है।

खुद से कर रहे अस्थाई पुलिया निर्माण का कार्य

ग्रामीण की अब तक शासन न ही प्रशासन ने सुनी है साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से 4 विधायक चुने गए एवं सभी विधायकों से ग्रामीणों ने कई बार पुलिया निर्माण हेतु लिखित रूप आवेदन दिए है लेकिन 18 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को पुलिया नसीब नहीं हुआ तब मजबूरन ग्रामीणों ने बास बल्ली से पुलिया निर्माण करने का निर्णय लिया और दूर-दूर से ग्रामीण कई दिनों से बास बल्ली कंधों पर लेकर एकत्रित किए और अस्थाई पुलिया निर्माण का कार्य सुरु किया।

जो भी विकास हुआ शहरो का हुआ : ग्रामीण

जब हमने ग्रामीणों से पूछा कि छत्तीसगढ़ रमन सिंह की सरकार राज्य में 15  सालों में तेजी से विकास होने की दावा कर रहे हैं और विकास यात्रा निकाल कर पूरे राज्य में दौरा भी किए तो ग्रामीणों ने जबाब दिया कि जो भी विकास हुआ है शहरों में हुआ है ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कुछ नहीं किया पुलिया नहीं होने के कारण हम ग्रामीणों को बरसात के समय बहुत परेशानी होती हैं पिछले दिन एक ग्रामीण को सांप काट दिया था और हॉस्पिटल ले जाने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं होने पर मजबूरन उफनती नदी में कंधे पर मरीज को बिठाकर जान जोखिम में डाल कर मरीज को हॉस्पिटल लाया गया।

विधायको को पुलिया के लिए लिखित जानकारी दी जा चुकी है

राशन सामग्री को भी कंधे पर लादकर नदी पार करना पड़ता हैं बच्चो एवं शिक्षक को भी स्कूल जाने में जान की बाजी लगाने पड़ते हैं पिछले 20 सालो में हमने लगातार 4 विधायको को पुलिया के लिए लिखित जानकारी दी है मगर आज छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश विभाजन को 20 साल होने को हैं मगर छत्तीसगढ़ रमन सिंह भाजपा की सरकार ग्रामीणों को एक पुलिया निर्माण कराने में असमर्थ है तो ग्रामीण क्षेत्रों में कहाँ विकास हुआ है कोई आके तो बताये कहाँ पर विकास नजर आता है आदिवासी बहुल कांकेर जिले के अन्दुरुहनी इलाकों में निवासरत ग्रामीण आज भी पहुँच मार्ग से कोशो दूर है।