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मुख्यमंत्री DAV स्कूल में 42 में से 41 बच्चे फेल

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Jun 2, 2018

यूपीए सरकार के कार्यकाल में गरीब बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दिलाने के लिए सरकार ने 3-3 करोड़ रुपए प्रति स्कूल के हिसाब से खर्च कर देशभर के सभी विकासखंडों में मॉडल स्कूल की स्थापना की थी। 2014 में मोदी सरकार के आते ही इन स्कूलों को न जाने किस दबाव के आगे झुकते हुए निजी संस्था DAV ऑर्गनाइजेशन को सौंप दिया गया।

2015 से DAV ऑर्गनाइजेशन मुख्यमंत्री मॉडल स्कूल के नाम से इन स्कूलों का संचालन कर रहा है। मात्र 3 वर्षों में इन स्कूलों की शिक्षा का स्तर इस कदर गिर गया है कि इसके नतीजे बेहद चौंकाने वाले सामने आ रहे हैं। जिले के कोटा विकासखंड के गोबरीपाट में स्थित डीएवी मॉडल स्कूल में 12 वीं कक्षा में 42 बच्चे अध्ययनरत है जिनमें मात्र एक छात्र ही पास हो सका है। 

अब ऐसे में इन स्कूलों से शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता की बात सोचना बेमानी ही साबित होगा। राज्य और केंद्र सरकार को इन स्कूलों की भविष्य को लेकर आगे की रणनीति तय करनी होगी ताकि CBSE आधारित माडल स्कूल आगे चलकर मजाक का केंद्र ना बन जाए। हम आपको बता दें कि यही बच्चे जब दसवीं कक्षा में पढ़ रहे थे उस समय राज्य सरकार के राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के द्वारा इसका संचालन किया जा रहा था उस समय इन बच्चों ने शत प्रतिशत सफलता हासिल की थी। बहर हाल गोबरीपाट डीएवी मॉडल स्कूल के बच्चों ने अपने प्राचार्य और शिक्षकों की शिकायत प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता शैलेश पांडे से की है श्री पांडे ने कहा है कि स्कूल के परिणाम को लेकर जिला शिक्षा विभाग और आर एम एस ए के अधिकारियों से उनकी चर्चा हुई है, जल्द ही स्कूलों में अच्छी व्यवस्था किए जाने का आश्वासन दिया जा रहा है। जिले के अन्य विकासखंडों मे स्थित माडल स्कूलों का भी कमोबेश यही हाल है। शासन द्वारा जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो गरीबों के लिए खोले गए माडल स्कूलों मे ताला लगते देर नहीं लगेगी।