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84 गांव के लोगों से भगवान जगन्नाथ वसूलते है लगान, पढ़िए पूरी खबर

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Jul 15, 2018

पुराने जमाने में राजाओं द्वारा लगान और वर्तमान की सरकारों द्वारा टैक्स वसूलने की बातें तो आपने खुब सुनी होंगी मगर कभी भगवान द्वारा टैक्स वसूलने की बात सुनी है, जी हां भगवान भी लगान वसूलते है, और ये सब होता है गरियाबंद जिले के देवभोग में विराजमान भगवान जगन्नाथ मंदिर में, यहॉ विराजमान जगन्नाथ भगवान आज भी अपने भक्तों से लगान वसूलते है, 84 गॉव के लोग भगवान को आज भी लगान देते है, लगान देने की ये परंपरा 117 साल से निरंतर चली आ रही चली आ रही है, लगान के रुप में चावल और मूंग लिया जाता है, यहॉ से वसूला गया लगान पुरी के विश्व प्रसिद् भगवान जगन्नाथ मंदिर जाता है और फिर उसी सुगन्धित चावल और मुंग का भोग पुरी के जगन्नाथ मंदिर में लगाया जाता है।

भगवान के लगान लेने का तरीका भी अलग है, ना कोई कर्मचारी लगान वसूली करने जाता है और ना कही बही खाते में ये लगान दर्ज होता है, उसके बावजूद भी 84 गॉव के लोग ईमानदारी से लगान जमा करते है, कभी किसी भी व्यक्ति पर इसके लिए दबाव नही डाला गया, 1901 में देवभोग जो उस समय कुसुमभोग के नाम से जाना जाता था उससे लगे झरलाबहाल गॉव में लोगो की एक बैठक हुयी और सभी ने स्वेच्छा से लगान के रुप में भगवान जगन्नाथ मंदिर को सुगन्धित चावल और काला मुंग देने का फैसला लिया तब से ये पंरपंरा निरंतर चली आ रही है, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में यहॉ के अन्न का भोग लगने के कारण यहॉ का नाम भी कुसुमभोग से देवभोग हो गया।

अपने आप में अनोखे देवभोग के इस मंदिर की एक खासियत और है, इस मंदिर के निर्माण में ना ईंटो का उपयोग हुआ ना पत्थरों का और ना रेती सीमेंट का, मंदिर को बेल, चिवडा, बबूल एंव अन्य देशी समाग्रियों का इस्तेमाल करके बनाया गया है, यहीं कारण है कि मंदिर को बनाने में 46 साल का वक्त लग गया। आधुनिकता के इस युग में आज भी हमारे देश में इस तरह की ना जाने कितनी अनोखी मान्यतायें विद्धमान है, लोग आज भी इन मान्यताओं पर अटुट श्रद्धा और विश्वास रखते है, कहते है जहॉ श्रद्धा और विश्वास होता है वही भगवान होता है।