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रियासत काल से चल रही परंपरा के अनुसार दशहरे के दिन राज परिवार द्वारा की जाती है आंगा देव की विशेष पूजा

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Oct 20, 2018

सुशील सलाम - कांकेर रियासत काल से चल रही परंपरा के अनुसार दशहरा के दिन राज परिवार द्वारा आंगा देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। जिसके तहत इस वर्ष भी आंगा देव की विशेष पूजा अर्चना राजपरिवार द्वारा किया गया बता दें कि कांकेर जिले में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि दशहरे के एक सप्ताह पहले तक आसपास क्षेत्र में स्थित मंदिरों के आंगा देव शहर में स्थित मंदिरों में इकट्ठा होते हैं। इसके पश्चात दशहरे के दिन बाजे-गाजे के साथ राज महल में प्रवेश करते हैं।

जहां राजपरिवार द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है और विदेशी सैलानी भी इस दशेरा को देखने प्रत्येक वर्ष पहुंचते है,साथ ही आसपास क्षेत्र के लगभग 150 से भी अधिक गांव के आंगा देव राजमहल पहुंचे थे जहां राजपरिवार के सूर्य प्रताप देव ने उनकी पूजा अर्चना की और राजमहल में पहुंचे देवी-देवता बाजे के धुन में झूमते रहे इस अवसर पर देवी-देवताओं के दर्शन करने शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों की तादाद में लोग दर्शन करने राजमहल पहुंचे।

यह परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही है उनके पूर्वज भी इसी तरह प्रत्येक दशहरे अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों से आंगा देव को लाया करते थे, जहां राजपरिवार द्वारा उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। एक अनुमान के अनुसार यह परंपरा दो सौ वर्ष से पहले से चली आ रही परंपरा है इस प्रकार दशहरा के दिन राजपरिवार द्वारा देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना कर सभी की खुशहाली की कामना की जाती हैं व देवी-देवताओं से आशीर्वाद लिया जाता है।