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ऑडिट में गड़बड़ीः निगम के पास 48 करोड़ की राशि का हिसाब ही नहीं

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Feb 10, 2018

रायगढ़। नगर निगम की सालाना ऑडिट में ऑडिट टीम को तकरीबन 48 करोड़ की राशि का हिसाब ही नहीं मिल रहा है। इस राशि को साल 2013 से 2017 के बीच नगर निगम के द्वारा अलग अलग मदों में खर्च किया गया है। राज्य शासन ने इस मामले में अब नगर निगम को नोटिस जारी कर जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद वित्त विभाग में हडकंप मचा हुआ है।

31 जनवरी थी अंतिम तिथि ...

खास बात ये है कि जानकारी भेजने की अंतिम तिथि 31 जनवरी थी, लेकिन अब तक मियाद पूरी होने के बाद भी नगर निगम की ओर से इस संबंध में जानकारी नहीं भेजी गई है। रायगढ़ निगम के अलावा घरघोडा सारंगढ और लैलूंगा नगर पंचायत में भी आडिट आपत्तियां आई हैं।

निगम में क्यों नहीं रखा हिसाब...

निगम के ऊपर आई हुई आडिट आपत्ति के मामले को भाजपा के पार्षद व नेता प्रतिपक्ष सहित भाजपा पार्षद भी गंभीर मामला मान रहे हैं। इनका कहना है कि इस मामले में सरकार के द्वारा दिया गया आबंटन दूसरे मद में खर्च कर दिया गया और इसका कोई हिसाब किताब निगम में नहीं रखा गया है और इतनी बडी ऑडिट की आपत्ति आना बताता है कि निगम के अधिकारी और महापौर किस प्रकार के कार्यों में लगे थे और इसकी जांच की जानी चाहिए कि राशि का खर्च किसमें किया गया है और किस मद के लिए राशि भेजी गई थी। 

रायगढ जिले में नगरीय निकायों के द्वारा अलग अलग योजनाओं के लिए मिली राशि को पूर्व में अनाप शनाप खर्च तो कर दिया गया, लेकिन अब हिसाब करने में निकायों के पसीने छूट रहे हैं। अंदाजा इसी बात , लगाया जा सकता है कि जिले में तकरीबन 45 करोड से अधिक के खर्च का पूरा ब्यौरा ही नहीं मिल पा रहा है।

दोबारा कराई ऑडिट में भी गड़बड़ी...

दरअसल राज्य शासन की ओर से नगरीय निकायों की सालाना आडिट कराई जाती है। साल 2013 से लेकर 2015 के बीच में कराई गई आडिट में पूर्व में 48 करोड की राशि का हिसाब रायगढ़ नगर निगम में आडिट टीम को नहीं मिला था। इसके बाद जुलाई 2015 से अप्रेल 2017 के बीच की दोबारा आडिट टीम के द्वारा कराई गई थी जिसमें भी 45 लाख की गडबडी पाई गई है। इसके अलावा घरघोडा नगर पंचायत में साल 2010 से लेकर 2016 तक 1 करोड़ 68 लाख, सारंगढ नगर पंचायत में इसी अवधि में 2 करोड़ 46 लाख और लैलूंगा नगर पंचायत में इसी अवधि में 35 लाख रुपए की राशि का हिसाब नही मिला है।

आडिट टीम ने बैलेंस शीट में मिलान नहीं होने पर चारों निकायों को नोटिस जारी कर 31 जनवरी तक जानकारी भेजने के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक किसी भी निकायो के द्वारा ऱाज्य शासन को जानकारी नही भेजी गई है। जानकार बताते हैं कि नगर निगम में राशि की कमी के दौरान कई बार अन्य मद की राशि को किसी अन्य मद में खर्च कर दी गई है, जिसकी वजह से ये दिक्कतें आई हैं। ऐसे में मिलान करने में वित्त विभाग के पसीने छूट रहे हैं।