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धमतरीः पत्नी प्रताड़ित पुरुष आश्रम सेवा केंद्र, जहां मिलती है टूटते रिश्तों को जोड़ने में राहत

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Feb 26, 2019

लोकेश साहू- धमतरी जिले में पति पत्नी के टूटते रिश्तों को जोड़ने और बिखरे परिवार को फिर से बसाने का बीड़ा उठाया है वनांचल गांव हिंछापुर में रहने वाले एक व्यक्ति ने। बीकाम तक की पढ़ाई कर चुके इस व्यक्ति ने अपने ही घर में पत्नी प्रताड़ित पुरुष आश्रम सेवा केंद्र खोलकर, अब तक कई रिश्तों को जोड़ने में मददगार बन कर एक नई मिसाल पेश की है।

भारत देश को एक पुरुष प्रधान देश कहा जाता है, लेकिन इस देश में आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। चाहे सरकारी नौकरी हो या किसी प्राइवेट सेक्टर में कोई जॉब। हर जगह महिलाएं बराबरी पर खड़ी हुई हैं। महिलाएं अपने हक़ के लिये सड़क की लड़ाई लड़ने से भी पीछे नहीं हटतीं। समाज में बढ़ते अत्याचार को देखते हुए कई सख्त कानून बनाए गए हैं। जिसका लाभ महिलाओं को तो मिल रहा है, लेकिन कई जगहों पर इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। कई मुद्दों में इसका शिकार होकर पुरुष वर्ग प्रताड़ित हो रहे हैं। सुनवाई न हो पाने के कारण पुरुषों को निराश होना पड़ता है। ऐसे निराश पुरुषों का दर्द बांटने और उनके टूटते रिश्तों को बचाने के लिए ग्राम हिंछापुर के प्रेम नारायण सिन्हा ने अनोखी पहल की है। प्रेम नारायण ने महिला प्रताड़ित पुरुष आश्रम केंद्र स्थापित किया, जो कि क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे जिले वासियों के लिये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रेम नारायण की माने तो उसका एक ही उद्देश्य टूटते रिश्तों को बचाना है।

खुद भी पिछले तीन वर्ष से मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं संस्थापक

प्रेम नारायण सिन्हा आश्रम संस्थापक का कहना है कि महिला प्रताड़ित पुरुष आश्रम केंद्र खोलने के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। उनका भी एक हंसता खेलता परिवार था लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि आज पूरा परिवार बिखरने की कगार पर पहुंच गया है। पत्नी और बच्चे मायके में हैं। वहीं मामला कोर्ट में है, जिसके चलते वह खुद भी पिछले तीन वर्ष से मानसिक रूप से प्रताड़ित है। ऐसी स्थिति का सामना और किसी परिवार को न करना पड़े इसलिए उसने पुरुष आश्रम की स्थापना की है। आश्रम के जरिये वह बिखरते रिश्तों को बचाने की कोशिश कर रहा है। हिंछापुर में पुरुष आश्रम खुलने की जानकारी मिलने के बाद, पत्नी प्रताड़ित लोगों का यहां आना भी शुरू हो चुका है। पिछले कई साल से मानसिक रूप से प्रताड़ित पुरुष आश्रम में आकर राहत महसूस कर रहे हैं, जो अपने रिश्तों को बचाने में कामयाब होकर अपने परिवार के पास वापस लौट रहे है।