Loading...
अभी-अभी:

भानुप्रतापपुर विधानसभा में बागी प्रत्याशियों के कारण होती है विरोधी पार्टी की जीत

image

Oct 20, 2018

सुशील सलाम : वैसे तो हर चुनाव में कोई ना कोई निर्दलीय के रुप में चुनावी समर में उतरता है लेकिन पार्टी से टिकिट नही मिलने के बाद बगावत कर मैदान में उतरने वाला प्रत्याशी उस पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाता है यह तो बहुत कम अंतर से हारने वाला प्रत्याशी ही जानता है। 2003 में पहली बार विधानसभा की बात करे तो विजयी प्रत्याशी देवलाल दुग्गा को 39.28, कांग्रेस के मनोज मंडावी को 37.95 जबकि कांग्रेस के बागी विजय ठाकुर को 12.69 प्रतिशत मत मिले थे और हार जीत का अंतर मात्र 1400 वोटों का रहा।

साल 2008 के चुनाव में इसी विधानसभा क्षेत्र से विजयी प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम को कुल 41300 मत प्राप्त हुए थे तब कांग्रेस की गंगा पोटाई को 24345, कांग्रेस के बागी मनोज मंडावी को 25892 मत मिले थे। जबकि हार जीत का अंतर 15408 मतों का रहा। तब बागी प्रत्याशी मनोज दुसरे स्थान पर रहे हैं और साल 2013 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी मनोज मंडावी को 64837, भाजपा के सतीश लाटिया को 49941 मत मिले वहीं वर्तमान में भाजपा में शामिल परमानंद तेता को 8096 मत मिले थे यहां हार जीत का अंतर 14,890 मतों का रहा।

वहीँ इस बार भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ,बीजेपी,आम आदमी पार्टी और जनता जोगी कांग्रेस की पार्टी चुनावी मैदान में उतर रहे है। कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य बिरेश ठाकुर ने भी नामांकन खरीद कर कांग्रेस पार्टी में भूचाल ला दिया है और आम आदमी पार्टी ने भानुप्रतापपुर विधानसभा में अपनी सिट लाने के लिए जी तोड़ मेहनत भी कर रही है साथ ही अगर आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी तो भानुप्रतापपुर विधानसभा के प्रत्याशी को मुख्यमंत्री बनाने का एलान भी कर चुकी है अब देखना ये है की जनता किस पर विश्वास जताती है।