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जगदलपुरः जल स्तर में कमी के चलते चित्रकोट जलप्रपात अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा

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Apr 19, 2019

आशुतोष तिवारी- देश मे मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात इन दिनों अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है। भारी गर्जना के साथ नीचे गिरता यह जलप्रपात अब शांत हो चला है। इसकी गर्जना अब सुनाई नहीं देती, क्योंकि इन दिनों इंद्रावती नदी का जल स्तर बेहद कम हो चला है। जिसके चलते चित्रकोट जलप्रपात तक पानी नहीं पंहुच पा रहा है।

दरअसल 20 वर्षों से  छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच इंद्रावती नदी पर पानी के हक़ के लिए चल रहे विवाद के बावजूद अब तक कोई निर्णायक फ़ैसला न आने की वजह से बस्तर में गर्मी के दिनों में इंद्रावती नदी सूख जाती है। जिस वजह से चित्रकोट जलप्रपात मे जलस्तर घटने के साथ  बस्तर में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। आलम ये है कि इस साल ग्रीष्म ऋतु में चित्रकोट जलप्रपात का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।

समझौता के अनुसार 45 टीएमसी पानी छत्तीसगढ को दिया जाना था

बस्तर के विशेष जानकार हेमंत कश्यप बताते है कि इंद्रावती नदी पर उडीसा के नवरंगपुर के पास खातीगुडा में डेम बनाया गया है। यह बांध 1980 में बनना शुरू हुआ और इसे पूरा होने मे 19 साल लग गये। बांध बनने के बाद इंद्रावती नदी में ओडिसा की ओर से पानी आना बंद हो गया। जबकि दोनों सरकार के बीच हुए समझौता के अनुसार 45 टीएमसी पानी छत्तीसगढ को दिया जाना था, लेकिन ओडिसा सरकार ने इस समझौते को ताक में रखते हुए छत्तीसगढ के बस्तर को उतना पानी नही दे रहा है। कई बार इस मुद्दे को लेकर दोनों सरकारों के बीच बैठक भी हुई, लेकिन छत्तीसगढ सरकार द्वारा दबाव नहीं बना पाने के चलते यह स्थिति उत्पन्न हुई।

बस्तरवासियों को जल संकट से जुझना पड़ रहा है

अब आलम यह है कि गर्मी के दिनों में बस्तर में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। हेमंत कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि एक अन्य कारण से भी बस्तरवासियों को जल संकट से जुझना पड़ रहा है। दरअसल ओडिसा और छत्तीसगढ के सीमा पर जोरानाला में बडे डेम का निर्माण किया जा रहा है और इस डेम से इंद्रावती नदी के संगम पर कटाव के चलते पानी जोरा नाला के माध्यम से शबरी नदी में चला जाता है। शबरी नदी से घुमकर बस्तर तक पंहुचता है। इंद्रावती नदी में बहने वाला पानी दरअसल इसकी सहायक नदियों भसकेल, नारंगी और मारकंडी नदियों का है जो चित्रकोट में जलप्रपात के रूप में गिरता है। लेकिन इस नदी में चित्रकोट तक 10 एनीकेट बना दिये गये हैं। जिसमें जगह-जगह पानी रोक किसान सिंचाई के रूप में पानी का उपयोग कर रहे हैं। एनीकेटों में पानी रोक देने से चित्रकोट जलप्रपात तक पानी पहुंच ही नहीं पा रहा है। जिससे कि चित्रकोट जलप्रपात के अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा है।

पर्यटको के चेहरे पर भी मायूसी साफ दिखायी दे रही

चित्रकोट जलप्रपात का नजारा देखने पंहुच रहे पर्यटको के चेहरे पर भी मायूसी साफ दिखायी दे रही है। उडीसा से आये एक पर्यटक ने कहा कि वे कई बार चित्रकोट जलप्रपात घुमने आ चुके है लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। विश्व प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात की स्थिति इतनी बूरी कभी नहीं थी। इंद्रावती नदी के घटते जलस्तर की वजह से चित्रकोट जलप्रपात की रौनक भी चली गई है। पर्यटन विभाग द्वारा बनाये गये रिसॉट, मोटल्स कॉटेज भी पर्यटकों के अभाव में सूने पडे हैं। पर्यटकों के नहीं आने की वजह से स्थानीय लोगों की आमदनी नहीं हो पा रही, जिसकी वजह से उनके आर्थिक स्थिति पर भी सीधा असर पड रहा है।