Feb 11, 2018
कोरिया: कोरिया जिले के सरभोका में घर में प्रसव होने के कारण एक के बाद एक, दो बच्चों को खो देने के बाद एक प्रसूता के परिजनों ने इस उम्मीद से उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया कि इस बार उनके घर में बच्चे की किलकारी गूंजेगी। लेकिन तीसरी बार भी प्रसूता की गोद खाली ही रह गई। इस मामले में प्रसूता के परिजनों ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वा.अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई है।
सरभोका निवासी आनंद सिंह ने बताया कि उनकी पत्नि को प्रसव के लिए बीते माह 4 जनवरी को उन्होनें जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। इस दौरान प्रसव पीड़ा से उनकी पत्नि परेशान थी। लेकिन महतारी एक्सप्रेस न मिलने से वे एक निजी वाहन से अपनी पत्नि को लेकर जिला अस्पताल पहुॅचे थे।
जिला अस्पताल में उनकी पत्नि को अटैण्ड करने वाली नर्स के द्वारा उनकी चाची को जो अटैण्डेंट के रूप में उनकी पत्नि के साथ गई हुई थीं उनसे प्रसव कक्ष की साफ-सफाई करने को कहा गया। साफ-सफाई न करने पर नर्स ने यहां तक कह दिया कि अगर प्रसव कक्ष की सफाई नहीं करोगे तो हम यहां प्रसव नहीं कराएंगें।
अपनी बहु की जान आफत में पड़ी देख महिला अटैण्डेंट ने प्रसव कक्ष में साफ-सफाई की। कुछ ही देर में सुनीता सिंह को प्रसव पीड़ा होने लगी लेकिन कक्ष में मौजूद नर्स ने कोई ध्यान नहीं दिया। जिसकी लापरवाही के चलते नवजात प्रसव टेबल से नीचे रखे डस्टबिन में गिर गया। डस्टबिन में गिरने से नवजात को काफी चोटें आईं। कुछ देर बाद नवजात ने दम तोड़ दिया।
इस घटना से प्रसूता सदमें की स्थिति में आ गई। परिजनों ने उसे यह बताया ही नहीं कि जिस बच्चे के जन्म को लेकर उसने काफी उम्मीदें लगा रखी थी वह अब इस दुनिया में नहीं रहा। परिजन उसे झूठी दिलासा देकर घर ले आए और जब महिला सदमें से बाहर आई तब सुनीता सिंह के परिजन उसे लेकर 10 फरवरी को बैकुण्ठपुर पहुॅचे और यहां कलेक्टर कोरिया, मुख्य चिकित्सा एवं स्वा.अधिकारी तथा थाना प्रभारी को एक लिखित शिकायत पत्र देते हुए जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान लापरवाही बरतने के मामले में उचित कार्यवाही करने की मांग की।