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किसान ने कोटा एसडीएम को ज्ञापन सौंप की इच्छामृत्यु की मांग

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Apr 26, 2018

नहर से बिना पानी लिए ही अपनी जमीन गंवाने वाले किसानों को अब भी सालों से लंबित मुआवजा मिलने का उम्मीद दिखाई नहीं दे  रहा है।  अधिकारी गांव पहुंच कर नहर और जमीन की जानकारी लिए जरूर, इसके बाद मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में जाता हुआ देख कर ग्रामीणों में निराशा व्याप्त है। किसानों की मांग है कि सरकार उन्हें वर्तमान नीति के अनुरूप उनकी जमीन का मुआवजा भुगतान करने के साथ सिंचाई के लिए नहर से पानी भी उपलब्ध कराएं।

मामला कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत रिगवार  के नजदीक बिछी खोन्द्रा बाँध में निर्मित इस  नहर का निर्माण तात्कालिन में कराया था। यह बांध रिगवार से तकरीबन 5 किलोमीटर दूर  में स्थित है। विभाग की योजना इस बांध के आसपास स्थित पूरे गांव के किसानों को खेत की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की थी।

नहर निर्माण के लिए शासन ने 35 किसानो की जमीन भी अधिग्रहित किया था। सिंचाई सुविधा मिलने की उम्मीद से किसानों में भी उत्साह था। बांध व नहर निर्माण पूर्ण होने के बाद किसान खेत तक पानी पहुंचने का इंतजार करने लगे। लेकिन 10 साल के बाद भी किसानों का यह इंतजार खत्म नहीं हुआ है। 

 उनके गांव में सिंचाई और राजस्व विभाग के अधिकारी पहुंचे थे। अधिकारियों ने उनसे नहर की स्थिति और उनसे अधिग्रहित की गई जमीन के संबंध में जानकारी ली इसके मुताबिक इस दौरान अधिकारियों ने ग्रामीणों को मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया जल्द ही शुरू करने का आश्वासन दिया था। इससे सालों से मुआवजा और पानी का इंतजार कर रहे लोगों में उम्मीद की किरणें जागी थीं। लेकिन 10 साल से अधिक का समय गुजर जाने के बाद मामले में कार्रवाई आगे ना बढ़ने से किसान व जमीन गंवाने वाले ग्रामीणों में निराशा व्याप्त है। इन लोगों की शिकायत है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में उनकी सहायता के लिये आगे नहीं आ रहे हैं वही आज कोटा एसडीएम को आवेदन सौंपकर 15 दिन के अंदर मुआवजा नही मिलने पर इच्छा मृत्यु की भी माँग भी की है देखना है कि किसानों को इनकी जमीन की मुआवजा कब तक मिलेगी या फिर ईच्छा मृत्यु का इंतजार ही करेंगे।