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रायपुरः पर्यावरण संरक्षण मंडल और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने उठाया सख्‍त कदम

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Sep 21, 2019

राजधानी के निजी अस्पतालों में बायो मेडिकल वेस्ट को सामान्य कचरे में मिलाकर और खुले में कचरा फेंकने की लगातार शिकायते मिलने के बाद पर्यावरण संरक्षण मंडल और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग सख्‍त कदम उठाया है। जिले के मुख्‍य स्वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. के.आर. सोनवानी ने बताया कि 1300 से अधिक निजी अस्‍पतालों और क्‍लिनिक के मेडिकल वेस्‍ट प्रबंधन के निरीक्षण के लिए तीन टीम गठित की गई है। टीम ने शुक्रवार को बैरन बाजार सहित दर्जनभर अस्‍पतालों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान ओपीडी सहित विभिन्न कमरों और ऑपरेशन थियेटर में जाकर भी जांच की गई। साथ ही अस्पताल के कूड़ा घर में भी जाकर व्यवस्था देखी की बायोमेडिकल वेस्ट का प्रबंधन किस प्रकार किया जा रहा है। निरीक्षण में ज्‍यादातर अस्‍पतालों ने कचरा उठाने वाली एसएमएस कंपनी से अनुबंध तो किया है। लेकिन पर्यावरण सरंक्षण मंडल से बायोमेडिकल वेस्‍ट के प्राधिकार से लाइसेंस नहीं लिया है।

कई अस्‍पतालों ने नवीनीकीरण भी नहीं कराया

कई अस्‍पतालों ने तो पर्यावरण बोर्ड से एक बार लाइसेंस लेने के बाद नवीनीकीरण भी नहीं कराया है। इन अस्‍पतालों को नोटिस देकर समझाइश दी गई है कि शासन की ओर से दी गई समय सीमा में बायोमेडिकल वेस्‍ट के प्रबंधन को लेकर उचित निपटान के लिए एनजीटी के निर्देशों का पालन किया जाए। डॉ सोनवानी ने बताया कि निजी अस्‍पताल संचालकों की ओर से नियमों का पालन नहीं करने पर नर्सिंग होम एक्‍ट के तहत पंजीयन निरस्‍त करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण मंडल की ओर से जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत सरकार सख्त हो गई है। शासकीय व निजी अस्पतालों में मेडिकल कचरे को अब सिस्टम के तहत ही नष्ट करना है, नहीं तो ऐसे अस्पताल प्रबंधनों के खिलाफ सीधे कार्यवाही की जाएगी।

टीम के मेडिकल अधिकारी निजी अस्‍पतालों में औचक निरीक्षण करने पहुंच रहे

सरकार द्वारा जिला स्तर पर टीम बनाकर कड़ाई से पालन कराने की कार्यवाही की जा रही है। टीम के मेडिकल अधिकारी निजी अस्‍पतालों में औचक निरीक्षण करने पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि निरीक्षण में कमी पाए जाने पर अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी करने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग कार्यवाही कर सकती है। सीएमएचओ कार्यालय ने बायोमेडिकल वेस्‍ट को लेकर 45 दिनों में सभी अस्‍पतालों को एसएमएस कंपनी से अनुबंध करने का समय दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों बायोमेडिकल वेस्‍ट को लेकर जिलें निजी अस्‍पताल संचालकों की बैठक आयोजित की गई लेकिन बैठक में आधे से कम अस्‍पताल के प्रतिनिधियों ने ही उपस्थिति दी थी। छत्‍तीसगढ़ स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें, संचालक ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को यह आदेश जारी किया है। आदेश में छत्‍तीसगढ राज्‍य उपचर्यागृह, रोगोपचार संबंधी स्‍थापना और नियम के तहत जिले में संचालित समस्‍त निजी क्‍लीनिक, अस्‍पतालों , नर्सिंग होम, पैथॉलाजी लैब इत्‍यादी का बायो मेडिकल बेस्‍ट का प्रबंधन और निपटान नियम -2015 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्‍त किया जाना अनिवार्य है। सभी अस्‍पतालों को पर्यावरण संरक्षण मंडल से बायोमेडिकल वेस्‍ट का प्राधिकार प्राप्‍त करना जरुरी है।

अस्‍पतालों के कचरों को सामान्‍य कचरों के साथ फेंकने पर अलग से जुर्माना

इसी तरह अस्‍पतालों से निकलने वाले केमिकल युक्‍त पानी के लिए भी टीटमेंट करने एसटीपी प्‍लांट भी लगाया जाना अनिवार्य है। अस्‍पतालों के किसी भी तरह के कचरों को नगर निगम के सामान्‍य कचरों के साथ फेंकने पर अलग से जुर्माना लगाने का प्रावधान है। अस्‍पताल के संचालकों को बताया गया कि जिस रंग के डस्टबिन होंगे उसी में मेडिकल वेस्ट को रखा जाएगा। यदि मापदंड के मुताबिक कचरे को अन्य रंग में रखा तो कड़ी सजा का प्रावधान है। इतना ही नहीं, इन कचरों को सिस्टमेटिक ढंग से नष्ट भी करना है। हर तरह के मेडिकल वेस्ट के लिए अलग से गाइड-लाइन जारी हुई है। नर्सिंग होम एक्ट के तहत न केवल निजी अस्पतालों बल्कि सभी सरकारी अस्‍पतालों में यह नियम प्राथमिकता के साथ यह नियम लागू होगा।