Aug 26, 2018
अभिषेक सेमर - आज समाज मे जहां एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति पर भरोसा नही रह गया है वही कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती है कि मन में एक आस जगाता है कि इंसानियत और ईमानदारी आज भी जिंदा है और धर्म और जात पात के नाम पर लड़ने और चिल्लाने वाले छोटे लगने लगते है ऐसा ही एक वाकया हुआ बिलासपुर में जिसने साबित कर दिया कि लोगो मे इंसानियत अब भी बाकी है और इंसानियत का कोई धर्म नही होता इंसान का इंसान से प्रेम का रिश्ता है।
घटना कुछ यूं है कि ममता शर्मा जांजगीर से रक्षाबंधन पर अपने भाई को राखी बांधने के लिए मुंगेली जा रही थी जांजगीर से ट्रेन पकड़कर वह बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर उतरी और मोहम्मद चांद खान के ऑटो क्रमांक CG10 EN 5205 में बैठकर मंगला चौक तक आई जल्द बाजी में अपना बैग ऑटो में ही भूल गयी इस बीच मोहम्मद चांद ऑटो लेकर वापस रेलवे स्टेशन आ गया जब उसने ऑटो में पीछे देखा तो बैग रखा हुआ था।
वह ममता को बैग वापस करने ढूंढते हुए महाराणा चौक आया जहां वह नही मिली तो वह उसे इधर उधर ढूढता रहा जब नही मिली तो बैग को मंगला के पुलिस सहायता केंद्र में जमा करने गया जहां उसे ममता मिल गयी ममता को देखते ही मोहम्मद चांद लपक कर उसका बैग दे दिया इस बीच अपने बैग के गुमने की खबर देने बेटी ममता भी ऑटो चालक और अपना बैग देख कर खुशी के साथ राहत की सांस ली ।
रक्षाबंधन के समय एक ऑटो चालक मुस्लिम के ईमानदारी का ईमान यह मिला कि ममता ने उसे अपना भाई बनाकर वही पर एक पहले ही रखी बांध दिया इस नए बंधन में बंधने के बाद मोहम्मद भाई भी अपने आंसू नही रोक पाए इन दोनों के अनोखे रक्षाबंधन को देख और पुरा मामला जानने के बाद लोग मोहम्मद की तारीफ और इंसानियत पर विश्वास किये बिना नही रह पाए।