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ऐतिहासिक धरोहर "गढ़िया पहाड़" खो रहा अपनी पहचान, कभी था पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र

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Dec 26, 2018

सुशील सलाम - जमीन से करीब 660 फीट ऊंचे "गढ़िया पहाड़" पर राजा धर्मदेव के जमाने की पुरानी यादें और इतिहास को संजोए कांकेर की पहचान और ऐतिहासिक धरोहर गढ़िया पहाड़ अपनी पहचान और ऐतिहासिक महत्व खोता जा रहा है। गढ़िया पहाड़ के नीचे मैदान पर आज भी मेला लगता है, लेकिन इस मेले के प्रति लोगों का आकर्षण अब खत्म होता जा रहा है गढ़िया पहाड़ पर प्राचीन सोनई-रूपई तालाब जो दशकों तक दूसरों की प्यास बुझाता था वह आज देखरेख के अभाव में खुद प्यासा नजर आ रहा हैं पर्यटकों के लिए पुरातात्विक महत्व का यह स्थल आज भी आकर्षण का केंद्र है।

बारिश में यह पहाड़ और भी लगता है सुन्दर

गढ़िया पहाड़ के नीचे बह रही दूध नदी से पहाड़ का दृश्य और ज्यादा सुंदर दिखता है गढ़िया पहाड़ अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है बारिश में यह और भी खूबसूरत लगता है क्योंकि पहाड़ से दूध नदी दिखाई पड़ता है कांकेर के मेलाभाठा से पहाड़ी तक सड़क है आसानी से किसी भी वाहन के द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है ऊपर जाने वाले रास्ते से शहर का शानदार दृश्य देखने मिलता हैं।

जोगी गुफा है आकर्षण का केंद्र

यहां धार्मिक स्थल के कारण कई लोगों का आना जाना है यह धार्मिक स्थल शीतला माता मंदिर, कांकेश्वरी देवी मंदिर, गढ़िया देव के नाम से जाने जाते हैं यहां की जोगी गुफा भी देखने लायक हैं यही कारण है कि छुट्टी के दिनों में यहां बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग मंदिर में विराजित देवी-देवताओं के दर्शन करने भी आते हैं ऐसे में अति प्राचीन पहाड़ को बचाना राज्य और सरकार की जिम्मेवारी के साथ साथ जवाबदेही भी है लेकिन आज भी हालात में कोई सुधार नहीं हुआ, तो इसके लिए किसकी जिम्मेदारी बनती है ये बड़ा सवाल है।