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प्रतापपुर वनपरिक्षेत्र मे कई वर्षों से हाथीयों कि समस्या बनी मुसीबत का सबब, गांव में दहशत का आलम

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Jan 4, 2019

दिलशाद अहमद - सूरजपुर के प्रतापपुर वनपरिक्षेत्र मे कई वर्षों से हाथी कि समस्याओं को लेकर चुनौती बनी हुई है ऐसे मे जहां अलग अलग दलो मे दो दर्जन से ज्यादा हाथीयो का क्षेत्र मे मौजुदगी रहता है वहीं बीते तीन दिनो मे सोनगरा बोझा समेत दर्जन भर गांव मे पांच हाथीयो कि मौजुदगी ग्रामिणो मे दहशत फैला रखा है जहां  कई एकड़ धान के फसलो को भी नुकसान पहुंचाया है वहीं तीन मवेशीयो को भी मौत के घाट उतार दिया है।

गांव में विचरण कर रहे 4,5 हांथी

सूरजपुर जिले का प्रतापपुर वनपरिक्षेत्र जहां हाथीयों कि समस्या और ग्रामिणो के जान माल का नुकसान कोई नई बात नही है लेकिन पिछले कई वर्षो से साल के शुरुआती दौर से ही हाथी और मानव द्वंद शुरु हो जाता है कभी हाथी कि मौत तो कभी ग्रामिण के मौत कि सूचना मिलते रहते है ऐसे मे पिछले तीन चार दिनो से सोनगरा बोझा समेत दर्जन भर गांव मे पांच हाथी शाम ढलते ही गांव का रुख कर लेते है और फसलों कि तलाश मे पुरे गांव मे विचरण करते रहते है जहां दो दिन पुर्व हाथीयो ने तीन मवेशीयो को मौत के घाट उतार दिया।

गांव मे दहशत का आलम

वहीं स्थानिय लोग भी वन विभाग के कार्यशैली से हताश हो चुके है और अपनी सुरक्षा मे खुद ही जुटे हुए है सूरजपुर के प्रतापपुर क्षेत्र शुरु से ही हाथीयों के दहशत मे रह रहा है जहां हाथी कोरिडोर समेत कई प्रकार के वादे भी हाथीयो को ग्रामिणो से दूर रखने के किए गए लेकिन जमीनी स्तर पर कोई पहल नही हुई वहीं सूरजपुर मे  वन विभाग के आला अधिकारी हमेशा से ही हाथी कि समस्या को लेकर ग्रामिण और मिडिया से दूरी ही  बनाए रखते है।

वन विभाग व जिला प्रशासन मौन

ऐसे मे पंद्रह साल बाद कांग्रेस कि नई सरकार बनने के बाद अब स्थानीय विधायक भी जल्द ही हाथीयों और इंसानी द्वंद रोकने के लिए विकल्प तलाशने के दावे करते नजर आए बहरहाल हाथीयो कि गाव मे मौजुदगी और ग्रामिणो के दहशत को लेकर वन विभाग व जिला प्रशासन तो मौन है। ऐसे मे जनप्रतिनिधियो के दावे कब तक जमीनी हकिकत बनकर ग्रामिणो को राहत देते है यह तो देखने वाली बात होगी।