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न कोई बेरियर न कोई जांच, धड़ल्ले से हो रही सीमेंट तस्करी

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May 25, 2018

दरअसल सीमेंट तस्करी का मामला छत्तीसगढ़ राज्य को झारखण्ड राज्य से जोड़ने वाले इस पुल से है जिसमें न तो कोई बेरियर है ना ही कोई जांच करने के लिए टीम दिखाई दे रही है शंख पुल से 2 किलोमीटर पहले साईंटांगरटोली में सीमेंट के कई गोदाम हैं जिसमें रोज़ाना कई ट्रक सीमेंट उतारा जाता है वहीं कई ट्रक सीमेंट अन्य ट्रकों में लोड कर झारखण्ड के कई जिलों में अवैध तरीके से पार किया जाता है इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है क्योंकि जो रोकनेवाले हैं वे सब तस्करों से मिले हुए हैं।

कोई चेक पोस्ट नही

आप को बता दें कि किस तरह से अवैध सीमेंट ट्रक से झारखण्ड भेजा जा रहा है यहां एक सीमेंट का गोदाम है जिसके अंदर से ट्रक निकली है और ये दो किलोमीटर आगे सीमा पर शंख नदी के पुल को पार कर रहा है इस दौरान कोई भी ऐसा चेकपोस्ट या बेरियर नहीं है जो इस ट्रक को रोककर ले जाने वाले सामान की ट्रांसपोर्टिंग टैक्स की चोरी तस्करी की जांच कर सके।

हमने जब इस ट्रक के ड्राइवर से बात की और गाड़ी में रखे पेपर को देखा तो माजरा समझ मे आ गया कि गड़बड़ है जो पेपर इस ड्राईवर ने दिखाया उसे देखिए इस पेपर में माँझाटोली जो झारखण्ड का पहला गांव है उस गांव में भगवती ट्रेडर्स के नाम पर बिल बनाया गया है जिसमें न तो तारीख लिखी है न जीएसटीन नम्बर है एक फर्जी जीएसटी नम्बर लगा हुआ है।

वहीं जब हमने एक और ट्रक ड्राइवर से जानकारी ली तो ड्राइवर श्यामलाल ने बताया कि छतीसगढ़ के लोदाम से पप्पू जायसवाल से सीमेंट लेकर घोघर झारखण्ड जा रहे हैं पप्पू जायसवाल ने इसे कोई कागजात नहीं दिया है इस ड्राइवर ने बताया कि झारखण्ड में सीमेंट मंहगा है तो हो सकता है सीमेंट की तस्करी होती होगी।

न बिल वैध न टिन नम्बर

सीमेंट की तस्करी के सन्देह को सीमेंट कारोबारी मदन अग्रवाल के मैनेजर विनोद जायसवाल उर्फ पप्पू जायसवाल ने यह बताकर पुख्ता किया कि छत्तीसगढ़ लोदाम के गोदाम से सीमेंट माँझाटोली झारखण्ड लाया गया है बिजली नहीं होने से बिल यहीं माँझाटोली तक का बना है गुमला में जनरेट किया जाएगा फिर वहां से रांची भेजा जाएगा मैनेजर इसे पक्के का काम बता रहा है जबकि इस बिल में टिन नम्बर दिया है वह वैध नहीं है।

सीमेंट का परिवहन टैक्स चोरी का है

यदि वैध रहता तो गुमला से बिल जनरेट करने की बात यह क्यों कहता मतलब कहा जा सकता है कि यह सीमेंट का परिवहन कहीं न कहीं टैक्स चोरी का है तस्करी का है जो जांच में सामने आएगा, लेकिन सवाल है कि जांच करेगा कौन और क्या जांच करने वाले इसकी जांच बिना किसी प्रलोभन या दवाब के कर पाएंगे क्योंकि यह काम यहां से पिछले 15 - 20 सालों से हो रहा है और आज भी बदस्तूर जारी है।

चोरी की आशंका

वहीं जब हमने इस ट्रांसपोर्टिंग में लगे बिल की वैधता की जांच कराने आयकर अधिवक्ता संजय सोनी के पास गए तो उन्होंने बिल को देखते ही कहा कि यह फर्जी बिल है और ऐसा बिल बनाने के पीछे सीमेंट की तस्करी करना कारण हो सकता है लोदाम पँचायत के नाम से सीमेंट के गोदाम हैं लेकिन ये गोदाम लोदाम से 7 किलोमीटर झारखण्ड सीमा में कैसे खोला गया जहां से झारखण्ड तक कोई चेकपोस्ट बेरियर नहीं है यह सीमेंट के बड़े कारोबारियों का सिंडिकेट हो सकता है जो टैक्स चोरी कर सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे होंगे जो जीएसटीन नम्बर है उसके आधार पर सीमेंट केवल छत्तीसगढ़ में बेचा जा सकता है झारखण्ड में तो बेच ही नहीं सकता अधिवक्ता ने इसपर कर चोरी की आशंका जताई है।