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हाथियों के आतंक से आतंकित हुआ प्रतापुर विधानसभा क्षेत्र, जानिए पूरी खबर

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Oct 19, 2018

दिलशाद अहमद : सूरजपुर के प्रतापपुर विधानसभा कई वर्षो से हाथी कि समस्याओ को लेकर चुनौती बना हुआ है। ऐसे मे जहां अलग अलग दलो में दो दर्जन से ज्यादा हाथियों का क्षेत्र में आमद रफ्त रहता है। वहीं बीते तीन दिनों में दलदली समेत दर्जन भर गांव मे हाथियों कि मौजूदगी ग्रामीणों में दहशत फैला रखा है। जहां एक आंगनबाङी केन्द्र समेत कई एकङ धान के फसलो को भी नुकसान पहुंचाया है। वही विधानसभा चुनाव मे हाथी प्रभावित इलाके जिला प्रशासन के लिए मतदान दिवस के लिए चुनौती खङी करते नजर आ रही है।

सूरजपुर जिले का प्रतापपुर विधानसभा जहां हाथियों कि समस्या और ग्रामिणो के जान माल का नुकसान कोई नई बात नही है लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव कि सरगर्मीया केवल नगर निकाय इलाको मे ही सीमित हो रही है। हाथी प्रभावित इलाको मे कांग्रेस भाजपा या किसी भी दल के टीकट के दावेदार या प्रत्याशी भी हाथी प्रभावित इलाको से दुरी बनाए हुए है। हाथीयों का दहशत केवल नेताओ मे ही नही बल्की वन विभाग और जिला प्रशासन मे भी है। जिसका उदाहरण बीते तीन दिनो मे दलदली गांव समेत दर्जन भर गांव मे हाथीयो के दहशत को कम करने के लिए कोई पहल नही करना है वही आगामी विधानसभा चुनाव मे हाथी प्रभावित इलाको मे मतदान केन्द्रो मे मतदान दल व ग्रामिणो कि सुरक्षा एक बङी चुनौती होगी। जहां हाथी कि समस्या व ग्रामिणो कि सुरक्षा को लेकर कोई भी पहल नही कर रहा। वही प्रतापपुर विधानसभा की बात की जाय तो इस बार हाथी मुख्य चुनावी मुद्दा नजर आ रहा और यहाँ की जनता हाथी के आतंक से निजात चाहती है और इस बार उसी को अपना बोट करेंगे जो हाथी के आतंक को इस विधानसभा से दूर करेगी

सूरजपुर के तीन विधानसभा मे पीछले चुनाव मे केवल प्रतापपुर से ही भाजपा के रामसेवक पैकरा ने जीत दर्ज किया था जो कि प्रदेश के गृहमंत्री के पद पर है। वही प्रतापपुर क्षेत्र शुरु से ही हाथीयो के दहशत मे रहा है जहां हाथी कोरिडोर समेत कई प्रकार के वादे भी हाथीयो को ग्रामिणो से दुर रखने के किए गए। लेकिन जमीनी स्तर पर कोई पहल नही हुआ
ऐसे मे आगामी विधानसभा चुनाव के मतदान दिवस के लिए जिला प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था बनाने कि रणनिति मे जुटा हुआ है।

बहरहाल जिला प्रशासन तो बस मतदान दिवस के दिन मतदान दलो और ग्रामिणो कि सुरक्षा कि रणनिति बनाने मे जुटा हुआ है। लेकिन पांच साल के कार्यकाल वाले जनप्रतिनिधियो के कुर्सी कि सुरक्षा शायद हाथीयो से त्रस्त ग्रामिण मतदान वाले दिन मे ही तय कर दे।