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प्राथमिक शालाएं भगवान भरोसे, फर्जी हाजिरी भरकर मध्यान्ह भोजन की हो रही हेराफेरी

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Apr 8, 2018

आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले में बुनियादी शिक्षा शिक्षकों के भरोसे नहीं बल्कि भगवान भरोसे चल रही है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन नन्दकुमार साय ने एक सम्मेलन में कहा है कि प्राथमिक शालाओं में शिक्षा व्यवस्था चौपट है। प्राथमिक शाला में शिक्षा व्यवस्था ठीक हो जाये तो सब सही हो जाएगा। हम आपको ऐसे ही एक चौपट सरकारी प्राथमिक शाला से रूबरू कराते हैं - 

जशपुर जिले के गडैरटोली प्राथमिक स्कूल में पहली से पांचवीं तक के 7 बच्चे दर्ज हैं अभी तक केवल दो ही बच्चे स्कूल आये हैं। वहीं गुरुजी गायब हैं बच्चों से पूछा तो जवाब मिला गुरुजी दारू पीने गए हैं। जवाब इतनी सहजता से दिया कि जैसे रोज दारू पीकर स्कूल आते हैं और पूछने पर बच्चों ने कहा कि गुरुजी ने यहीं इसी स्कूल के एक क्लासरूम को अपना घर बना लिया है। 

फर्जी हाजिरी भरकर मध्यान्ह भोजन में करते हैं हेराफेरी
इस क्लासरूम के अंदर देखा तो हम खुद भी दंग रह गए, क्लासरूम में बिस्तर, पलंग, पंखे, चूल्हे और खाना बिखरा हुआ है। स्कूल के प्रभारी प्रधानपाठक राजेश कुमार सूर्यवंशी की और भी करतूत देखिए विद्यार्थियों की उपस्थिति पंजी में विद्यार्थियों की फर्जी हाजिरी भरी गई है यहां मौजूद पांचवी कक्षा का छात्र बुधेश्वर राम बता रहा है कि अप्रैल माह में वही रोज स्कूल आ रहा है और चौथी कक्षा का छात्र शिवा आज ही स्कूल आया है जबकि रजिस्टर में साफ दिख रहा है कि सभी बच्चों की हाजिरी दर्ज कर दी गई है। मार्च 2018 की उपस्थिति पंजी में शिवा की पूरी हाजिरी चढ़ा दी गई है जबकि शिवा की माँ अस्पताल में 1 माह तक भर्ती रही और शिवा 1 माह तक स्कूल ही नहीं आया। मतलब साफ है इस स्कूल में फर्जी हाजिरी भरकर मध्यान्ह भोजन की हेराफेरी की गई है।

शिक्षक शराब के आदी
इस सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक राजेश कुमार सूर्यवंशी और सन्दीप खेस्स दोनो शराब पीने के आदी हैं और गांववाले भी इनसे परेशान हैं। शिकायत पर कार्रवाई होती है लेकिन नोटिस का जवाब देकर फिर से मनमानी करने लगते हैं। यही वजह है कि यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम है। इन्हें यहां से हटाकर अच्छे शिक्षक भेजे जाएं तो बच्चों की नींव मजबूत होगी। वैसे जब शिक्षक को ही ज्ञान नहीं है तो शिष्यों को क्या सिखाएगा। इन्हें ये तक नहीं पता कि सप्ताह में कितने दिन होते हैं, गृहमंत्री आवास का काम करने वाला मंत्री होता है, शिक्षामंत्री का नाम जिला शिक्षाधिकारी का नाम नहीं पता जबकि स्कूल के सामान्य ज्ञान वाले बोर्ड में सब लिखा गया है।

प्राथमिक शालाओं में शिक्षा व्यवस्था चौपट
अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार ने कहा कि इस स्कूल को देख कर कहा जा सकता है कि जिले में प्राथमिक शालाओं में शिक्षा व्यवस्था चौपट है और इसकी परवाह जिम्मेदार अधिकारियों को तो बिल्कुल ही नहीं है। इससे पहले भी शिक्षकों की लापरवाही और शराब पीकर आने की कई ख़बरें सुर्खियां बन चुकी हैं।

शिक्षा विभाग अधिकारी पहुंचे निरिक्षण करने
संकुल समन्वयक और शिक्षा विभाग के अधिकारी भी गांववालों की सूचना पर स्कूल पहुंचे और कक्षा को निवास बनाने से मना करने के बाद भी खाली नहीं करने पर खूब डांट पिलाई। अधिकारी फिलहाल इस मामले में कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।