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नक्सल प्रभावित जिलों में एसपीओ की भर्ती

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May 10, 2018

राजनांदगांव छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के द्वारा नक्सल प्रभावित जिलों में एसपीओ की भर्ती की जा रही है आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुलिस विभाग के द्वारा एसपीओ के तौर पर आरक्षक बनाया गया है और इन आरक्षको को बाकायदा पुलिस वर्दी और वेतन भी दिया जा रहा है वही राजनांदगांव जिले में भी एसपीओ की भर्ती की गई है जिले में लगभग 35 एसपीओ आरक्षक बनाये गए है वही राजनादगांव पुलिस विभाग के द्वारा जिले के कुछ एसपीओ को पद से निकल दिया गया है जिसके बाद एसपीओ रह चुके लोग अब अपना जीवन यापन के लिए शहर में मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने को मजबूर है वही विभाग के द्वारा एसपीओ की आवश्यकता नहीं है की हवाला देकर कुछ एसपीओ को निकाल दिया है।

पूरे छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पित माओवादियों को पुलिस ने एसपीओ के तौर पर आरक्षक बनया है और इन एसपीओ की खबर पर पुलिस ने कई बड़े नक्सलियों के नापाक मंसूबो को ध्वस्त किया है लेकिन नौकरी से निकालें जाने के बाद इन एसपीओ को नक्सलियों का डर सता रहा है और अपना गांव नहीं जा पा रहे है और शहर में ही छोटी-मोटी मजदूरी का काम करके अपना जीवन यापन करने को मजबूर है पूर्व एसपीओ रह चुके चैतराम गोड जो छुरिया ब्लॉक के बिजे पार गांव का रहने वाला है।

नक्सलियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन को सूचना देता था और सूचना के आधार पर पुलिस को कई बार सफलता भी मिली और इस बात की नक्सलियों को खबर लगते ही नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर है बोल कर नक्सलियों ने रात को ही पहुंचकर पुछतांछ की।

नक्सलियों ने रात को घर पहुंचकर दरवाजा खोलने की बात कही और मेरे द्वारा दरवाजा नहीं खोलने पर नक्सलियों के द्वारा घर को बम से उड़ने की धमकी देने लगे जिसके बाद मैं और मेरा पूरा परिवार पीछे के दरवाजे से से भागकर अपनी जान बचाई और सीधे छुरिया थाना पहुंचकर अपनी आपबीती बताई जिसके बाद पुलिस विभाग ने मुझे एसपीओ के टूर पर आरक्षक के पद पर भर्ती कर लिया और प्रतिमाह 3000 रुपये मासिक वेतन भी मिल रहा है।

पुलिस अधीक्षक के द्वारा एसपीओ के सेवाओं की विभाग को आवश्यकता नहीं है का हवाला देते हुए निकने की बात कही जिसके बाद से शहर में रोजी रोटी के लिए मजदूरी करने की बात कही और कहा की एसपीओ रहने के दौरान नक्सलियों के कई नापाक मंसूबो को नाकामयाब करने के कारण चैतराम अब अपना गांव भी नहीं जा पा रहा है और वापस गांव जाने पर जान का खतरा होने और गांव में ही खेती होने की बात कहि और कहा की कुछ एसपीओ नक्सल घटना में शहीद भी हो चुके है और चैतराम ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपनी जमीन और बच्चो को शिक्षा और रहने के लिए सुरक्षित मकान दिलाने के लिए गुहार लगाई है और कहा की अगर पुलिस विभाग मेरी स्थिती के बारे में नहीं सोचती और कल को मेरे साथ कोई अप्रिय घटना होने पर पुलिस को जिम्मेद्दार होने की बात कही।