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सामाजिक पंचायत की अदालत में रेप की सजा पर हुई ऐसी सुनवाई, जानिए पूरी खबर

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Jul 13, 2018

जशपुर जैसे आदिवासी जिले में एक सामाजिक पंचायत की अदालत में लिए गए अजीबो-गरीब फैसले ने मानवता को शर्मशार कर दिया है मामला था तीन लड़कियों का जिसमे दो नाबालिग है जिन्हें भरी सामाजिक अदालत में खड़े कर उनकी इज्जत का सौदा किया गया। सौदा भी कितना मात्र 30 हजार का इस तीस हजार में 8 हजार रुपयों का बकरा भात बना कर पंचायत की अदालत में उपस्थित ग्रामीणों को खिलाया गया और तो और सौदे के बचत 22 हजार रुपयों को 485 रुपये के हिसाब से ग्रामीणों को बाँट दिया गया। मीडिया में इस खबर के वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई और इस मामले की जांच कर दुष्कर्म की घटना से बालिकाओं के इनकार करने की बात बताई लेकिन साथ मे ही पुलिस ने इस बात को स्वीकार किया कि सामाजिक पँचायत हुई है और लड़के पक्ष से मिले जुर्माने के पैसे से पँचायत ने दावत उड़ाई।

न्याय के नाम पर एक गम्भीर मामले को दबाने का काम

दरअसल यह मामला सन्ना थाना क्षेत्र के एक पंचायत का है जहां न्याय के नाम पर एक गम्भीर मामले को दबाने का काम किया गया। बीते 28 जून को घर से गायब तीन लड़कियों को ढूंढ रहे परिजनों को तीनों लड़कियां गांव के ही तीन गैर आदिवासी लड़कों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखीं। नाराज परिजनों ने युवकों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखाने का फैसला लिया ही था कि यह बात गाँव के लोगों में फैलती चली गयी। गांव के बड़े-बुजुर्गों ने मामले का फैसला  पंचायत की अदालत में करने का निर्णय लिया। जिसमे 1 जुलाई को तीनों लड़कियों, उन्हें भगाने वाले तीन लड़कों को परिवार के साथ पँचायत में बुलाया गया।

नाबालिग लड़कियों से पूछी पूरी कहानी

1 जुलाई दिन रविवार को पँचायत की अदालत में लड़के व नाबालिग लड़कियों से पूरी कहानी पूछी गयी और तीन लड़कों पर लड़कियों को भगाकर ले जाने व 2 दिनों तक बाहर रखने का दोषी माना गया और भविष्य में दुबारा ऐसे गलती न किये जाने की शर्त पर उनपर 10-10 हजार का जुर्माना लगा दिया गया। तीनों लड़कों के परिवार वालों ने सामाजिक अदालत को भातभीतर के नाम पर 30 हजार रुपये दिया और मामले में समझौता हो गया दोष माफ़ हो गया। भात मटन की पार्टी हुई और मामला रफा दफा कर दिया गया।

बड़े दोष का निराकरण पंचों की सहमती से​​​​​​​

आपको बता दें की भातभीतर आदिवासी अंचलों में ग्रामीणों की वह प्रथा है जिसमे किसी बड़े दोष का निराकरण पंचों की सहमती से निर्णय के बाद सजा स्वरुप भात खिलाकर और शराब पिलाकर की जाती है इसी कड़ी में समाज के लोगों ने 8 हजार रुपये बकरा मटन की पार्टी के लिए लिया और बाकी बचे पैसे 485 रुपये के हिसाब से सभी ग्रामीणों को बाँट दिया गया।

नाबालिग लड़कियों ने किसी भी प्रकार के दुष्कर्म से किया इनकार

मीडिया में नाबालिग लड़कियों से रेप और सामाजिक पँचायत की अदालत में रेप की सजा के लिए मटन पार्टी की खबरों पर पुलिस ने संज्ञान लिया। 11 और 12 जुलाई दो दिन की गहन छानबीन के बाद पुलिस ने बताया कि दो नाबालिग लड़कियों ने किसी भी प्रकार के दुष्कर्म से इनकार किया है । बाकी घटना की पुष्टि करते हुए पुलिस विभाग की महिला अधिकारी एसडीपीओ पद्मश्री तंवर ने यह भी कहा कि गांव के छोटे - बड़े मामले गांव में हीं पँचायत लगाकर हल करते आ रहे हैं । गांव का मामला गांव में ही बैठकर सुलझा ली ।पुलिस अधिकारी का कहना है कि इस पूरे मामले में यदि लड़कियों या उनके परिजनों की तरफ से कोई शिकायत पुलिस तक पहुंचेगी तो कारवाई जरूर की जाएगी ।

बहरहाल दो नाबालिग लड़कियों के द्वारा घर मे बिना बताए युवकों के साथ आपत्तिजनक अवस्था मे मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं यह अपराध है। नाबालिग लड़की को झांसा देकर, बहला-फुसलाकर घर से बाहर ले जाना ही अपहरण का जुर्म बन जाता है। पुलिस के ऐसे बयान से तो लगता है कि पुलिस सामाजिक फैसले का विरोध नहीं कर रही है।