Aug 25, 2018
बालकृष्ण अग्रवाल : शासन द्वारा सर्वशिक्षा अभियान एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल भवन का निर्माण तो कराया जाता है, ताकि बच्चे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें, लेकिन इसके विपरीत मध्यप्रदेश की सीमा से सटे राज्य के आखिरी छोर पर स्थित गौरेला विकासखंड के ठाड़पथरा में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला का भवन बदहाल हो गया है। यहां जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ने मजबूर हैं।
एक ओर शासन एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल चले हम एवं कई प्रकार की योजनाओं के माध्यम के द्वारा बच्चों को शासकीय शालाओं में प्रवेश कराने के लिए कवायदे की जाती है। अनेक योजनाओं के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों-करोड़ों रुपए फूँक दिए जाते हैं, लेकिन गौरेला ब्लॉक में ठाड़पथरा के माध्यमिक शाला का हाल बेहाल है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के चलते माध्यमिक स्कूल के बच्चे रोजाना अपनी जान हथेली में रखकर पढ़ाई करने को विवश हैं।
भवन की हालत किसी खण्डहर की भांति जर्जर होती जा रही है, जिसकी दशा देखकर लगता है कि अब गिरा कि तब गिरा, लेकिन इसके बाद भी बहुत बढ़े खतरे को अनदेखी करते हुए मासूम बच्चों को इस खतरनाक हो चुके भवन में जान जोखिम में डालकर अध्ययन कराया जा रहा है। लोगों के मुताबिक विभागीय अधिकारियों की उदासीनता बताया जा रहा है। पानी गिरने पर आलम यह हो जाता है कि यहां छत से पानी चारों तरफ रिसता है तो वहीं गीली फर्ष पर पढ़ाई कर पाना भी संभव नहीं हो पाता लिहाजा यहां पास में ही स्थित एक अतिरिक्त कक्ष में तीनों कक्षााओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर तीनों कक्षाओं की पढाई एक साथ करवायी जाती है।
अमरकंटक से सटे होने के कारण इस क्षेत्र में कभी भी बारिष होती है ऐसे में पढाई लगभग रोजाना ही प्रभावित हो रही है। शिक्षकों के मुताबिक आला अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से कई बार मांग की गई है कि इस शाला भवन को शीघ्र ही मरम्मत कराई जाए या नया शाला भवन बनाया जाए, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं देने के कारण रोजाना खतरों की आशंका के बीच नौनिहाल अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर रहे हैं। वही शाला भवन में बने शौचालय की स्थिति भी काफी खराब है शौचालय तो बना दिया गया है मगर इसमे शीट तक नही बिछाई गई है ऐसे में छात्र खुले में शौच जाने को मजबूर है।