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विस्थापितों ने शुरू की जमीनी लडाई, साढे तीन दशकों से लगातार हो रहे विस्थापित

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May 3, 2018

पूर्व घोषित निर्णय के तहत 44 गांव के विस्थापितों ने आज कोरबा जिले में संचालित एसईसीएल की कोयला खदानों को बंद कराया। प्रशासन और पुलिस की मुस्तैदी से भले ही यह आंदोलन 4-5 घंटे चला हो लेकिन विस्थापित दीपका के साईलों को भी बंद कराने में कामयाब रहे, लिहाजा एनटीपीसी सीपत का कोल डिस्पैच भी प्रभावित हुआ है। उत्पादन उन दो बडी खदानों में रोका गया जो प्रोडक्शन के हिसाब से कोयला कंपनी की रीढ़ कही जाती है। 

साढे तीन दशकों से लगातार किए जा रहे विस्थापित 
कोरबा जिले में संचालित एसईसीएल की कोयला खदानों से लगभग साढे तीन दशकों से आज लगातार विस्थापित किये जा रहे विस्थापित अपनी नौकरी, मुआवजा औश्र विस्थापन की लडाई लंबे समय से लडते आ रहे हैं बावजूद आज तक उन्हें राहत नहीं मिली। हर बार आश्वासन की घुट्टी पी कर थक चुके हजारों विस्थापितों ने अब जमीनी लडाई शुरू कर दी है ताकि उन्हें नियमों के तहत् उनका वाजिब हक मिल सके। 

उर्जाधानी विस्थापित संगठन के पदाधिकारियों का ये है कहना
2 मई को 44 गांव के हजारों विस्थापितों ने खदानों से उत्पादन बंद करते हुए अपने आंदोलन की जानकारी शासन प्रशासन को दे दी थी और ये नजारा उसी प्रदर्शन का है। उर्जाधानी विस्थापित संगठन के पदाधिकारी बताते हैं कि एशिया की दो सबसे बडी खदानों में उत्पादन प्रभावित किया गया है। एसईसीएल की हठधर्मिता से तकरीबन 20 हजार परिवार सफर कर रहे है।

प्रतिनिधियों ने दिया विस्थापितों को समर्थन 
भूविस्थापितों द्वारा सरकार की विस्थापन नीतियों के तहत ही अपने लिये तीन जायज अधिकार मांगे जा रहे है। इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर ने अब तक एईसीएल प्रबंधन को कई पत्र लिखे है। खुद सरकार में बैठे प्रतिनिधियों ने भी विस्थापितों को समर्थन दिया है, लेकिन आज तक कोयला प्रबंधन ने शासन प्रशासन के पत्रों और निर्देशों को अहमित नहीं दी है।

पुलिस व प्रशासन ने दिखाई मुस्तैदी 
विस्थापितों द्वारा किये जा रहे बंद को देखते हुए पुलिस व प्रशासन ने भी मुस्तैदी दिखाई और विस्थापितों को इस बात के लिये राजी करवा लिया कि उनका आंदोलन दोपहर बाद खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि सुबह 9 बजे से शुरू हुए आंदोलन में दोपहर तक एसईसीएल का कोई भी अधिकारी बुलाए जाने के बावजूद नहीं पहुंचा था।

विस्थापितों ने महिलाओं और बच्चों को रखा आंदोलन से दूर
पहले के आंदोलनों से सीख लेते हुए विस्थापितों ने महिलाओं और बच्चों को आंदोलन से दूर रखा। 44 डिग्री की चिलचिलाती धूप में बिन बुलाए पहुंची महिलाओं ने दीपका चैक पर पुलिस को रोड सेल की गाडियों को रोक कर उलझाए रखा, तो वहीं अलग-अलग गुटों में सैकडों की संख्या में बंटे विस्थापित खदानों में उतरकर उत्पादन और साईलों बंद कराने में कामयाब रहे। बताया जाता है कि इस आंदोलन से एसईसीएल की दोनों खदानों में करोडों का उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिसके तथ्यात्मक आंकडे अब तक जारी नहीं हो पाए है।