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प्राइवेट स्कूल से कम नहीं ये सरकारी स्कूल, बच्चे बोलते है फर्राटेदार इंगलिश

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Jul 13, 2018

इच्छा शक्ति के आगे हर मुश्किल काम आसान हो जाता है इस कहावत को राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ ब्लॉक के मुह डबरी गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों और छात्रों ने साबित कर दिया है इस स्कूल में पढ़ने वाले गांव के बच्चे किसी महंगे प्राइवेट स्कूल के बच्चो की तरह इंग्लिश बोलते है स्कूल में चाहे क्लास किसी भी विषय की क्यों न हो हर सवाल और जवाब के लिए अब अंग्रेजी का इस्तेमाल करते है गांव के इन बच्चो के लिए अंग्रेजी सबसे आसान भाषा बन गई है। 

65 से अधिक छात्र छात्राएं कर रहे हैं इन स्कूलों में 
दरअसल खैरागढ़ ब्लॉक के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के मुंह डबरी गांव के प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र और छात्राये फर्राटे दार अंग्रेजी बोलते है इस स्कूल में लगभग 65 से अधिक छात्र -छात्राएं पढ़ रहे है ये प्रयोग स्कूल के शिक्षकों के द्वारा किया गया की जब प्राइवेट स्कूल के बच्चे अंग्रेजी बोलते है क्यों न सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी इंग्लिश बोले, गांव के बच्चे जिन खेलो को छत्तीसगढ़ी में खेला करते थे उसे यहाँ के शिक्षकों ने पहले अंग्रेजी में बदला यही खेल स्कूल परिसर में पढ़ाई के दौरान खेलाया जाने लगा खेल के दौरान छत्तीसगढ़ी शब्द की जगह अंग्रेजी शब्द को शामिल किया और बच्चो से इन्ही शब्दों का इस्तेमाल करने को कहा गया।

बच्चे आम बातचीत के दौरान करते हैं इंग्लिश का प्रयोग
देखते ही देखते ये शब्द बच्चो की जुबान पर ऐसे बस गए की अब स्कूली छात्र -छात्राये आम बातचीत के दौरान अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल और बोल रहे है वही स्कूली छात्र और छात्राओ का कहना है की स्कूल के शिक्षकों ने खेल के माध्यम से अंग्रेजी सिखाई है और कहा की सर के द्वारा इंग्लिश विषय को बहुत अच्छा पढ़ते है और समझाते है जिसके कारण इंग्लिश सीखने को मिल रहा है खेल के आलावा क्लास में पोयम और गाने के माध्यम से इंग्लिश सीख रहे है और कहा की क्लास के बाहर आपस में बात करते है और आगे चलकर कोई शिक्षक बनाना चाहता है तो कोई प्रशासनिक अधिकारी ।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बसा है स्कूल
जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलो मिटर दूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जंगलो के बीच बसा यह गांव के बच्चे सुविधा के अभाव के बावजूद इंग्लिश बोल रहे है लगभग इन गांवो के लोगो को हिंदी भी ठीक से बोलने नहीं आती और इनके बच्चे गांव के ही प्राथमिक स्कूल में पढ़ रहे है और इस स्कूल में पदस्थ शिक्षक के अथक प्रयास से बच्चे आज फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहे है ,वही इस स्कूल में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं लगती है और इस स्कूल में हिंदी माध्यम से बच्चो को  पढ़ाया जाता है लेकिन इन शिक्षकों ने मन में ठाना की सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी प्राइवेट से कम नहीं है और यहाँ के बच्चे भी इंग्लिश बोल  सकते है,वही स्कूल के शिक्षक का कहना है की जाता है , तीन साल पहले एनसीआरटी ने सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी के बेहतर पढ़ाई के लिए शोध के बाद प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया था वही यहाँ के शिक्षकों ने प्रशिक्षण लिया ,और तकनीकी जानकारी हासिल की और जाना की बच्चो को कैसे उन्ही के तरिके से अंग्रेजी सिखाया जाता है , बस इसी लाइन पर आगे बढ़ते गए और बच्चे गांव में जो खेल खेलते थे उन्हें अंग्रेजी में बदलकर सीखने का प्रयास किया,सबसे पहले इस स्कूल के कक्षा  चौथी और पांचवी के बच्चो को अंग्रेजी विषय के बारे में जानकारी और पढ़ाई करवाई गई इसके आलावा इन बच्चो को खेल - खेल में छत्तीसगढ़ी खेलो को इंग्लिश शब्दों में रूपांतरण कर बच्चो को सिखाई गई जिसके बाद बच्चो ने धीरे धीरे इंग्लिश सिखना और बोलना शुरू किया और आज स्कूल के बच्चे अंग्रेजी बोल रहे  है और कहा की सरकारी स्कूल में भी बच्चे अंग्रेजी सीख और बोल सकते है पालको से अपील करते हुए कहा की प्रायवेट स्कूलों से अच्छी पढ़ाई सरकारी स्कूलों में हो रही है और पैसे भी कम लग रही है और यहाँ बच्चे पढ़ कर देश का नाम रोशन कर सकते है ,और अपने बच्चो को सरकारी स्कूलों मे पढ़ाने की अपिल किया है। 

पिछड़े इलाके के स्कूल भी नहीं है कम
ब्लॉक के पिछड़े इलाके मुह डबरी गांव के स्कूली बच्चे पहले कभी ठीक से हिंदी नहीं बोल पाते थे लेकिन शिक्षकों के इस प्रयोग से अब बच्चे अंग्रेजी बोल पा रहे है इस स्कूल में कुल 65 बच्चे पढ़ाई करने आते है ,वही कक्षा पहली और दूसरी में पढ़ने वाले बच्चे भी आसानी से अंग्रेजी का अक्षर ज्ञान शिख रहे है ,वही गांव के पालको का कहना है की शिक्षकों ने जो भी किया है उसी का नतीजा है की बच्चे अंग्रेजी बोल रहे है और कहा की लगता ही नहीं की बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे है और कहा की सरकारी स्कूल आज किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है।