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इस विधाय​क को चुनाव हारे हो चुके है 4 साल, फिर भी नहीं छोड़ रही सरकारी आवास

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Mar 21, 2018

प्रदेश सरकार अतिक्रमण को लेकर एक तरफ जहां गंभीर नजर आती है, लेकिन जब बात उनके ही पूर्व विधायक की हो तो सारे नियम को नजरअंदाज कर दिया जाता हैं, ताजा मामला सूरजपुर का है जहाँ पूर्व मंत्री और दो बार विधायक रह चुकी रेणुका सिंह के चुनाव हारे चार साल से ज्यादा हो चुके है लेकिन आज भी सरकारी आवास में उनका कब्जा बरकरार है, विपक्ष द्वारा कई बार मकान खाली करने के लिए प्रयास किये गए लेकिन पूर्व विधायक आज भी सरकारी आवास छोड़ने को तैयार नहीं है।

बता दें प्रेमनगर विधायक चुनाव हारने के बाद आज भी सरकारी आवास में रह रहीं हैं और उसपर विधायक प्रेमनगर लिखा हुआ है, जब मीडियाकर्मियों ने उनसे कब्जे का कारण पूछा तो उन्होंने बताया की क्षेत्र में उनके दो निजी बँगले है लेकिन वहाँ अदानी कोयला खदानो के लिए भारी वाहनों से ट्रांसपोर्टिंग होती है, जिसके कारण बहुत प्रदूषण होता है इसलिए वे सूरजपुर के सरकारी आवास पर अपना कब्जा कर रखी हैं, उनका कहना है कि उस इलाके में यदि वह रहेंगी तो वे बीमार हो जायेंगी, लेकिन सवाल यह है की आखिर उस इलाके के ग्रामीण वहाँ कैसे जी रहे हैं और यदि वहाँ जिंदगी इतनी मुश्किल है तो प्रदेश में उनकी सरकार है वे इन खदानों को बंद कराने या स्थानीय लोगो को प्रदुषण से मुक्ति दिलाने के लिए क्या पहल कर रही हैं।

वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने कई बार बंगला खाली कराने के लिए कोशिश की लेकिन बावजूद इसके पूर्व विधायक का कब्जा बरकरार रहा, जिसको लेकर कांग्रेस लगातार पूर्व विधायक और राज्य सरकार पर तानाशाही रवैये का आरोप लगा रही है साथ ही वे अदानी को लेकर भी राज्य सरकार को घेरने का काम कर रही है।

लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि यदि कोई आम आदमी अतिक्रमण करे तो उसके लिए कई नियम-कानून है लेकिन यदि कोई ओहदे वाला व्यक्ति अवैध कब्जा करे तो क्या उसके लिए कोई कानून नहीं है? दूसरा सवाल यह की यदि इलाके में कोयले का इतना डस्ट है की पूर्व मंत्री यदि उस इलाके में रहेंगी तो वे बीमार हो जायेंगी तो आखिर उस इलाके के हजारों बच्चों,बुजुर्गो और महिलाओं की स्थिति क्या है इस ओर कोई ध्यान क्यूँ नहीं दे रहा है और उन ग्रामीणों को इस जहर से निजात दिलाने के लिए कोई पहल क्यूँ नहीं की जा रही है? इसका जवाब किसी भी नेता के पास नहीं है।