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अभी-अभी:

झरिया का पानी पीने पर मजबूर आदिवासी लोग

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May 15, 2018

विकास की गाथा गाने वाले मुख्यमंत्री रमन सिंह के निर्वाचन जिले में आज भी ऐसे दर्जनों गांव मौजूद हैं जहां पानी और बिजली के लिए लोग तरस रहे है मौजुदा हालत में जिस गांव की बात हम कर रहे है उस गांव के लोग मई के भीषण गर्मि में भरी दोपहरी के दौरान चिलचिलाती धूप में महिलाये और पुरुष और बच्चे नंगे पैर एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर सूखी नदी में गड्ढा खोदकर झरिया का मटमैला प्रदूषित पानी पिने को मजबूर है।

राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 125 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित मानपुर विकास खंड के ग्राम खुरसे कला के लोग खरिया का मटमैला प्रदूषित पानी पिने को मजबूर है चार सौ की आबादी वाले इस गांव में प्रशासन ने दो बोर करवा रखे है जिसमे सोलर प्लेट लगा हुआ है और ओवर हेंड टेंक का निर्माण भी करवाया है लेकिन कोई मतलब का नहीं है दोनों बोर गर्मी के महीने में सूख जाते है।

गांव के ही बाहर डेढ़ किलो मीटर की दूरी पर नदी बहती है लेकिन वह भी गर्मियों में पूरे तरिके से सूख जाती है ऐसे में गांव के ग्रामीणों ने नदी के किनारे बड़ा सा गड्ढा खोद रखा है जिसमे रत भर के अंदर पानी इकट्ठा होता है इस पानी को गांव के मवेशी और ग्रामीण दोनों ही पीते है।

बिजली की बात करे तो गांव तक तो रमन सरकार ने बिजली तो पहुंचा दी है लेकिन पुरे चौबीस घंटे के दौरान महज दो घंटे ही बिजली गांव में रहती है कभी-कभी तो तीन-तीन दिनों तक बिजली का पता ही नहीं रहता ऐसा नहीं है की प्रशासन को इस बात की खबर नहीं है प्रशासनिक अमला कभी कभार गांव में पहुँचता भी है और गांव की लोगो की समस्या को सुनता भी है लेकिन केवल झूठा आश्वासन देकर वहां से निकल पड़ता है।

एक तरफ सरकार के द्वारा लोगो को शुद्ध पानी पीने के लिए करोड़ो की योजनाए चला रही है और कई योजनाए भी संचालित है लेकिन जिले के नक्सल प्रभावित दर्जनों गावो में आज भी लोग झरिया के प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है और गांव-गांव तक बिजली पहुंचने के लिए सरकार के द्वारा दावे भी किये जा रहे है लेकिन कई गावो में आज भी बिजली नहीं पहुंची है ऐसे में सरकार के विकास की दावे की पोल खोल कर रख दी और जिला प्रशासन इस पूरे मामले पर सफाई देते नजर आ रहे है और इस पुरे मामले में जाँच कर कार्यवाही करने की बात कह रहे है।