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अस्पताल में मृत बच्चों के बढ़े आंकडे, प्रबंधन के पास नहीं है जवाब!

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Feb 19, 2018

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देने की तमाम कवायदों के बीच अस्पताल में वर्ष भर में एक हजार से अधिक बच्चों का मृत हाल में सामने आना चौंकाने वाला मामला है। वहीं चिकित्सालय प्रबंधन इसका कारण गर्भवती माताओं की सही देखरेख न होना और खान-पान में बरती गई लापरवाही को बता रहें हैं। बता दें कि जनवरी 2016 से 31 दिसंबर 2017 तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 2231 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस अवधि में कुल 422 बच्चे मृत अवस्था में पैदा हुए। जबकि चालू वर्ष में जनवरी माह में 22 दिनों में 56 बच्चों की मौत हुई और 9 बच्चे मृत पैदा हुए।

चिकित्सालय प्रबंधन की तमाम कोशिशों के बाद भी ऐसे हालातों के सामने आने के पीछे एक बड़ा कारण स्टाफ की कमी को माना जा रहा है। नर्स व कर्मचारियों की कमी बनी रहने से प्रसूताओं को बेहतर चिकित्सा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

एसएनसीयू इंचार्ज ने नहीं दी आंकडों की जानकारी
इस मामले में एसएनसीयू इंचार्ज ने भी आंकड़ो की जानकारी देने से भी साफ मना ​कर दिया। उन्होंने हंसते हुए कहा की मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है की पिछले एक साल में कितनी मौतें हुई। साथ ही अपने स्टाफ को भी वह बचाते हुए नजर आईं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की इस अस्पताल के डॉक्टर अपने काम को लेकर कितने लापरवाह है।

सुविधाओं के बावजूद मृत बच्चों के आंकडों में हुई वृद्धि
गौरतलब है कि सरकार की संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने की मंशा सुरक्षित प्रसव कराने की रही है। आंगनबाड़ी के माध्यम से गर्भवती माताओं को बेहतर पोषण आहार मिल रहा है  समय-समय पर टीकाकरण किया जा रहा है। गर्भवती माताओं की बेहतरी के लिए सोनोग्राफी जांच आदि की निःशुल्क सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं है। इन सभी सुविधाओं के बावजूद भी मौतों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आना समझ से परे है।

विधानसभा नेता प्रतिपक्ष का बयान
सरगुजा मेडिकल कॉलेज के आंकड़े को लेकर विधानसभा नेता प्रतिपक्ष ने बयान देते हुए कहा है कि अंबिकापुर जिला अस्पताल में 2231 बच्चों की मौत हुई है जो की चौंकाने वाले आंकड़े है जिसको लेकर मै भी गंभीर हूँ, मैं खुद जाकर देखूंगा की ऐसी क्या कमी है की बच्चो की मौत में बढ़ोतरी हो रही है।