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गरियाबंद के सीनापाली गांव में पांच दिन तक पारंपरिक तरीके से कुछ इस तरह मनाई जाती है होली...

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Mar 21, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : होली के त्यौहार को आपसी भाईचारे और सदभावना का प्रतीक माना जाता है, लोग इस दिन अपने पुराने गिले शिकवे भुलाकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर नये रिश्तों की शुरुवात करते है, गरियाबंद के सीनापाली गॉव में भी होली कुछ इसी अंदाज में मनाते है, देखिेए एक खास रिपोर्ट..

ढोलक की थाप पर नाचते गाते और एक दुसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की बधाई देते ये सीनापाली गॉव के लोग, यहॉ पांच दिन तक पारंपरिक तरीकों से होली खेली जाती है, जिसमें गॉव के सभी महिला पुरुष शामिल होकर धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेते है, यहॉ ना तो नशा पान होता है और ना ही किसी तरह की कोई हुडदंग, गॉव के सभी लोग आपस में मिलकर हंसी खुली होली का त्यौहार मनाते है, सीनापाली में सुखी होली की ये परंपरा 30 सालों से चली आ रही है।

सीनापाली में इस तरह होली मनाने की परंपरा शुरु करने के पीछे भी एक बडी वजह है, तकरीबन 30 साल पहले तक होली के दौरान यहॉ खुब हुडदंग होता था, कई बार तो नौबत लडाई झगडे और मारपीट तक पहुंच जाती थी, इन सब से छुटकारा पाने के लिए उस समय गॉव के बुजुर्गो ने पारंपरिक तरीकों से सुखी होली खेलने की नयी परंपरा शुरु की जो आज तक कायम है, शुरु के कुछ साल तक को आसपास गॉव के लोगो ने यहॉ की होली का खूब मजाक उठाया मगर अब यही होली आसपास गॉवों वालो के लिए आदर्श बन गयी है, इसमें खास बात ये है कि इस दौरान सामुहिक भंडारे का आयोजन होता है जिसमें गॉव के सभी लोग अपना श्रद्धा से दान करते है और फिर यही भोजन ग्रहण करते है।

अब सीनापाली की होली देखने और खेलने के लिए आसपास के 40 गॉव के हजारों लोग शामिल होते है, ना केवल देवभोग ईलाके के बल्कि ओडिसा के लोग भी यहॉ अपने परिवार के साथ होली खेलने आते है, कुछ लोग तो अब ये कहने से भी नही चुकते कि दुसरे गॉव के लोगो को भी सीनापाली के ग्रामीणों की तरह होली खेलनी चाहिए।

त्यौहार वही जो लोगों जो जोडना सिखाये, भाईचारा बढाये और लोगो के चेहरों पर शुखियां बिखरे, सीनापाली की होली देखकर भी कुछ ऐसा ही लगता है कि ये त्यौहार यहां के लोगो के लिए एक आयोजन मात्र नही है बल्कि आपसे भाईचारे और सदभावना की वो जडी बुटी है जिसे सीनापाली और आसपास के 40 गॉव के लोग हर साल पीकर आपसी संबंधो को मजबूत करने का काम करते है।