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कवर्धा में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज, दोनों पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी

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Nov 14, 2019

प्रदीप गुप्ता : नगरीय निकाय चुनाव को लेकर कवर्धा में भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है। भाजपा व कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दल अपनी अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए है। कवर्धा लंबे समय से व्हीआईपी जिला रहा है क्योंकि यह पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह का गृह जिला है। वहीं वर्तमान में कांग्रेस के कद्दावर नेता व वन परिवहन मंत्री मो. अकबर का विधानसभा क्षेत्र है ऐसे में दोनों दल के नेता यहां अपना अपना दबदबा बनाये रखना चाहते है। 

मतदाताओं को रिझाने में जुटे कांग्रेसी
वर्तमान में भाजपा व कांग्रेस दोनों दल अभी से ही मतदाताओं को रिझाने के लिए अपने अपने तरीके से जुटे हुए हैं। कवर्धा में अब तक जातिवाद के आधार पर टिकट वितरण किया जाता रहा है लेकिन इस बार ऐसा तरीका कारगर साबित होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कारगर स्थानीय मुद्दा ही दोनों प्रमुख दलों को सत्ता के पास ले जा सकता है। भाजपा जहां कांग्रेस के 11 महीने के कार्यकाल में किये गए वायदों के आधार पर मुद्दा तैयार कर रही है वहीं कांग्रेस द्वारा भाजपा के 15 साल में हुए भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रमुख तौर पर सामने आने की बात कह रहे है। हालांकि अंतिम मुहर दोनों ही प्रमुख दल के आला कमान के आधार पर तय होना है। 

प्रदेश में सरकार बदलते ही स्थिति भी बदली...
कबीरधाम जिले में एक नगर पालिका व पांच नगर पंचायत है। इनमें पंडरिया नगर पंचायत को छोड़ बाकि सभी में भाजपा का कब्जा है। प्रदेश में सत्ता बदलते ही शहरीय सरकार की स्थिति भी बदलती नजर आ रही है। कुछ ही दिनों में नगरीय निकाय की तिथि घोषित होने वाली है इससे पहले भी कवर्धा में दोनों प्रमुख दल चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस बार के चुनाव में जहां व्यक्तिगत छवि प्रमुख मायने रखेगी वहीं राजनीतिक दलों का स्थानीय मुद्दा भी कई मायनों में विशेष रहेगा। अब तक कांग्रेस ज्यादातर चुनाव में भाजपा के 15 साल के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही लडती आ रही है। ऐसा ही कुछ इस बार के नगरीय निकाय चुनाव में भी देखने को मिल सकता है। 

जनता को किये वादे आज तक पूरे नहीं किये...
वहीं भाजपा लोकसभा में जीत के साथ ही एक बार फिर से जोश में नजर आ रही है तथा नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ जीत का दावा करते हुए 11 माह के कार्यकाल में कांग्रेस के द्वारा किय गए वायदों को मुद्दा बनाकर शहरी सत्ता हासिल करने का दावा कर रही है। भाजपा का मानना है कि झूठे वायदे कर कांग्रेस सत्ता में तो आ गई लेकिन जनता को किये वायदे आज तक नहीं पूरा कर पा रही है।