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प्रदेश सरकार की आंखो के सामने लाखों का धान हो रहा बर्बाद

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Feb 24, 2018

मुंगेली। प्रदेश सरकार जहाँ एक ओर किसानो की धान खरीदने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर किसानों से ख़रीदे गए लाखों मीट्रिक टन धान को खुले आसमान में बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया गया है। मुंगेली जिले के दो धान संग्रहण केंद्र गीतपुरी और लोरमी में लाखों क्विंटल धान 2011-12 से पड़ा हुआ है। रख रखाव के अभाव व प्रशासनिक लापरवाही की वजह से करोडों के धान बर्बाद हो रहे है। इस बात की चिंता न तो सत्ता की कुर्सी में बैठे नेताओं को है और न ही प्रशासनिक अधिकारियो को है। 

बता दें कि वाहवाही लुटने के लिए पैसे को पानी की तरह बहाया जा रहा है। लोगो की कमाई से प्राप्त धान की सरकार को जरा सी भी फिक्र नहीं कि इसकी भरपाई किसानो और आम आदमियो की जेब से ही करनी पड़ेगी, इससे देश और प्रदेश का अरबो रुपया बर्बाद होने से बच जायेगा।

गौरतलब है कि 2011-12 का 16 हजार 800 क्विंटल और 2012-13 का 1200 क्विंटल, ये तो सिर्फ एक संग्रहण केंद्र का है। इसी प्रकार जिला के अन्य संग्रहण केंद्र में 4006 और 16593 मी टन रखा हुआ है। ऐसे ही प्रदेश के हजारों संग्रहण केंद्र की बात करें तो ये आंकड़ा लाखों और करोड़ों मीट्रिक टन में जायेगा जिसकी अनुमानित लागत अरबों तक पहुंच जायेगी। 

बहरहाल जिस दिन प्रदेश सरकार आम जनता की खून पसीने की कमाई की चिंता करने लगेगी  उसी दिन से मंहगाई और बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्या पर रोक लग पाएगी और जितने का धान एक वर्ष में बर्बाद हो रहा है केवल उसी को रोक लें तो संग्रहण केन्द्रों में धान खुले आसमान के नीचे बर्बाद नहीं होगा।