Loading...
अभी-अभी:

गरियाबंद में सरकार ने खोले तीन आंगनवाड़ी केंद्र, तीनों आंगनवाड़ी भवनविहीन

image

Mar 10, 2019

पुरूषोत्तम पात्रा : छत्तीसगढ़ में अबतक बनी तमाम सरकारें विकास के लाख दावे करती रहें मगर प्रदेश में विकास की असली तस्वीर गढ़ना अभी बाकी है, क्योंकि तमाम सरकारों के दावे और जमीनी हकीकत में हमेशा जमीन आसमान का अंतर रहा है।

खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर नौनिहाल
बता दें कि खुले आसमान के नीचे बैठे ये नौनिहाल गरियांबद जिले के अंतिम छोर पर बसे मुंगझर गॉव के है, 2500 की आबादी वाले इस गॉव में वैसे तो सरकार ने तीन आंगनबाडी केन्द्र खोलकर कागजों में अपने आंकडे दुरुस्त कर लिये है, मगर इन आंगनबाडी केन्द्रों की असलियत जानकार आप भी चौंक जायेंगे। 

गरियाबंद में आंगनबाड़ी भवनवि​​हीन
बता दें कि वर्षों से संचालित होने वाली यहॉ की तीनों आंगनबाडियों को अबतक खुद का भवन नसीब नहीं हो पाया। तीन में से दो आंगनबाडिया भवनविहिन है, कुरलापारा और बस्तीपारा में 10 साल से आंगनबाडी संचालित हो रही है। भवन नही होने के कारण कुरलापारा के बच्चे हर मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठते हैं। वहीं बस्तीपारा के लिए 10 साल पहले राशि स्वीकृत होने के बाद भी अबतक भवन नही बन पाया और आंगनबाडी किराये के भवन में संचालित हो रही है।

ग्रामीणों को मिला सिर्फ आश्वासन
ऐसा नही है कि यहां के ग्रामीण नही चाहते कि उनके बच्चों का भविष्य सुनहरा हो, ऐसा भी नही है कि ग्रामीणों ने कभी इसके लिए आवाज नही उठायी, ग्रामीण हो या फिर गॉव की महिला सरपंच सभी लगातार मांग करते आ रहे है मगर अबतक सिर्फ आश्वासनों के सिवाय और कुछ नही मिला। गॉव में आंगनबाडी भवन नही होने का असर यहॉ आंगनबाडियों में दर्ज बच्चो की संख्या पर भी पड रहा है, गिने चुने बच्चे ही आंगनबाडी आते है।

अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से झाड़ रहे पल्ला
अधिकारियों के पास जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की अनोखी कला है, इलाके के एसडीएम से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने पहले से कोई जानकारी नही होने का हवाला देते हुए तत्काल जनपद सीईओ से जानकारी लेकर महिला बालविकास को अवगत कराकर अपनी जिम्मेदारी निभाने की बात कह रहे है।