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17 सालों में खोजः अब इस बैक्टीरिया से होगी नर्मदा प्रदूषण मुक्त

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Mar 14, 2018

जबलपुर। कहते हैं लोहा लोहे को काटता है, लेकिन गंदगी-गंदगी को काटे ऐसा आपने शायद ही सुना हो। जी हां जबलपुर के रानीदुर्गावति विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है। यहां के शोधार्थियों और स्टॉफ द्वारा एक ऐसे बैक्टेरिया को बनाया गया है जो पवित्र नर्मदा में मिल रहे नालों के गंदे पानी को साफ करेगा।

17 सालों की कड़ी मेहनत के बाद जीव विज्ञान विभाग अब सबसे सस्ती और बिना किसी खर्च के नेच्युरल तरीके से नर्मदा को स्वच्छ बनाने की पद्धति लाया है।

नाले कर रहे नर्मदा को प्रदूषित...

एक सरकारी सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में करीब 100 से अधिक छोटे बड़े नाले हर मिनट नर्मदा को गंदा करते हैं, जिनसे मल का पानी सीधे नर्मदा नदी में मिल रहा है। इस प्रदूषण की ओर चिंता करने में कोई पीछे नहीं रहा खुद सूबे के मुखिया ने ऐतिहासिक नर्मदा सेवा यात्रा निकाली और जनजागरण फैलाया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आज भी शत प्रतिशत मुकाम हासिल नहीं किया जा सका है।

अब बैक्टीरिया मारेंगे बैक्टीरिया को...

अब इस संदर्भ में एक अच्छी खबर प्रदेश वासियों के लिए सामने आई है। जबलपुर की रानीदुर्गावति विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग ने इस ओर एक ऐसी खोज की है, जो इन नालों से फैल रहे प्रदूषण का सफाया बैक्टीरिया से करेंगे। जो बैक्टीरिया नर्मदा में पाया जा रहा है, उसी से इस गंदे पानी को करीब 90 प्रतिशत तक साफ किया जाएगा।

जीव विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने ये खोज इतनी आसानी से नहीं की बल्कि इसके लिए उन्हें 17 वर्षों की कड़ी मेहनत करना पड़ा है। पर्यावरण विज्ञान मंत्रालय द्वारा चलाए गए विशेष अभियान में प्रदूषण नियंत्रण मंडल के साथ मिलकर नर्मदा के उदगम स्थल अमरकंटक से लेकर अंत में भरूच तक जगह जगह बैक्टीरिया के सैंपल को लिया गया, और फिर उन पर शोध किया गया कि आखिर नर्मदा के पानी में पाए जाने वाले ये बैक्टीरिया कहीं आम इंसानों के लिए घातक तो नहीं है। इन्हीं बैक्टीरियों में से जीव विज्ञान विशेषज्ञों ने इस खोज को इजात किया।

एेसे काम करेगा ये बैक्टीरिया...

अब हम इसे विज्ञान की भाषा में समझना चाहें तो पानी में पाए जाने वाले घुलुत्व ऑक्सीजन याने बीओडी से हम पानी के प्रदूषण का आंकलन करते हैं। इसे अंग्रेजी में बायोकेमीकल ऑक्सीजन डिमांड भी कहा जाता है। जीव विज्ञान में हुए शोध से पाया गया कि प्रदूषित नाले के पानी में जब बैक्टीरिया को डाला गया तो करीब 90 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आई है। इसे सफल बनाने के लिए सिर्फ एक छोटे से ढ़ांचे की ज़रूरत पड़ती है। जहां भी नर्मदा में गंदा नाला मिल रहा है, उसके कुछ दूर पहले एक स्टॉप डैम या फिर क्वायर बैडस बनाकर उसमें इन बैक्टीरिया को रखा जाएगा और जब नाले का गंदा पानी उसपर से फ्लो होगा तब पानी स्वच्छ होकर नर्मदा में मिलेगा।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इन शोधकर्ताओं ने 17 साल की कड़ी मेहनत के बाद वो तरीका निजात कर लिया है, जिससे कि नर्मदा को प्रदूषण मुक्त किया जा सकता है। आगामी दिनों में इसे परीक्षण के बाद उन स्थानों पर प्रयोग में लाया जाएगा, जहां नाले सीधे नर्मदा में मिल रहे हैं।